भगवान श्रीकृष्णके १०८ नामोंमेंसे एक नाम धर्माध्यक्ष है | उन्होंने इस नामको चरितार्थ कर दिखाया है | जैसे – * हमारे भिन्न धर्मशास्त्रोंमें उपलब्ध धर्मकी भिन्न व्याख्यायोंको संकलित कर, उसके माध्यमसे धर्मका महत्त्व, समाजको उन्होंने बताया है | * धर्मकी इन परिभाषाओंको उन्होंने समाजमें चरितार्थ कर अनेक साधक-जीवोंका उद्धार कर अर्थात उन्हें जीवन्मुक्त कर, संतपदपर […]
मैं अपने श्रीगुरुसे क्यों जुडी, यह कुछ लोग मुझसे पूछते रहते हैं, तो इस लेख श्रृंखलामें मैं प्रतिदिन आपको एक कारण बताऊंगी….. हमने आपको बताया ही था कि हमारे श्रीगुरुका उद्देश्य समाजमें सुराज्यकी स्थापना अर्थात् रामराज्यकी स्थापना करना है; किन्तु इसके साथ ही वे सभीके अन्दर भी रामराज्य ला रहे हैं । साधकोंके आसुरी वृत्तियोंका […]
मैं अपने श्रीगुरुसे क्यों जुडी, यह कुछ लोग मुझसे पूछते रहते हैं, तो इस लेख श्रृंखलामें मैं प्रतिदिन आपको एक कारण बताऊंगी….. अप्रैल १९९७ में सनातन संस्थासे जुडनेके पश्चात् मैंने पाया कि इस संस्थाके सभी साधकमें प्रेमभाव, त्याग, दूसरोंका विचार करना, गुरुके प्रति अटूट निष्ठा जैसे दिव्य गुण विद्यमान थे | मैं इन सबसे अत्यधिक […]
मेरे मनमें बाल्याकालसे अन्याय एवं अनुचित आचरणको देखकर आक्रोश उत्पन्न हो जाया करता था | दुराचारी, व्याभिचारी एवं भ्रष्टाचारीको ईश्वर दण्ड क्यों नहीं देते हैं यह प्रश्न निर्माण हुआ करता था……….
मई १९९७ में श्रीगुरुके साथ हुए प्रथम साक्षात्कारमें ही मुझे ज्ञात हो गया कि मेरा जन्म उनके कार्य निमित्त हुआ है और मेरे श्रीगुरुने मुझसे बिना अध्यात्म सम्बन्धी कुछ भी पूछे मुझे सत्संग लेनेका आदेश दिया………
मैं अपने श्रीगुरुसे क्यों जुडी, यह कुछ लोग मुझसे पूछते रहते हैं, तो इस लेख श्रृंखलामें मैं प्रतिदिन आपको एक कारण बताऊंगी…
मैं अपने श्रीगुरुसे क्यों जुडी, यह कुछ लोग मुझसे पूछते रहते हैं, तो इस लेख श्रृंखलामें मैं प्रतिदिन आपको एक कारण बताऊंगी……. मई १९९७ में श्रीगुरुने प्रथम साक्षात्कारके समय ही मुझे सत्संग लेनेके निर्देश दिए । गुरु आज्ञा पालन हेतु मैंने सत्संग लेने आरम्भ किए और समाजको धर्म शिक्षण देने हेतु मेरे श्रीगुरुद्वारा संकलित ग्रन्थोंके […]
मैं अपने श्रीगुरुसे क्यों जुडी, यह कुछ लोग मुझसे पूछते रहते हैं, तो इस लेख श्रृंखलामें मैं प्रतिदिन आपको एक कारण बताऊंगी – इस वर्ष समान ख्रिस्ताब्द १९९० में बिहारमें हुए व्यापक स्तरके शैक्षणिक भ्रष्टाचारके कारण मुझे १२ वींकी बोर्ड परीक्षामें ५७ प्रतिशत अंक आये थे | जो विद्यार्थी ९९ अंक आनेपर यह सोच कर […]
मैं अपने श्रीगुरुसे क्यों जुडी, यह कुछ लोग मुझसे पूछते रहते हैं, तो इस लेख श्रृंखलामें मैं प्रतिदिन आपको एक कारण बताऊंगी – अगस्त १९९७ में एक दिवस मैं श्रीगुरुके ध्वनिमुद्रित(रिकार्डेड) सत्संग सुन रही थी । उसमें उन्होंने बताया कि अध्यात्ममें २ प्रतिशत ज्ञान शब्दोंके माध्यम एवं ९८ प्रतिशत ज्ञान शब्दातीत माध्यमसे प्राप्त होता है, […]
मैं अपने श्रीगुरुसे क्यों जुडी, यह कुछ लोग मुझसे पूछते रहते हैं, तो इस लेखमें मैं प्रतिदिन आपको एक कारण बताऊंगी – विद्यार्थी जीवनमें मुझे सभी विषयोंमें ९८, ९९, या १०० अंक मिला करते थे; इस कारण प्रधानाध्यापक एवं सभी विषयोंके शिक्षक मुझसे अत्यधिक स्नेह करते थे | अनेक बार वे सब मुझे बुलाकर पूछते […]