देवस्तुति

भजगोविन्दं


भजगोविन्दं भजगोविन्दं गोविन्दं भज मूढमते । संप्राप्ते सन्निहिते काले नहि नहि रक्षति डुकृञ्करणे ॥ १ ॥ अर्थ : गोविन्दकी आराधना कर, गोविन्दकी आराधना कर, गोविन्दकी आराधना कर, रे मूढ ! व्याकरणके नियम मृत्युके समय तुम्हारे काम नहीं आयेंगे। मूढ जहीहि धनागमतृष्णां कुरु सद्बुद्धिं मनसि वितृष्णाम् । यल्लभसे निजकर्मोपात्तं वित्तं तेन विनोदय चित्तम् ॥ २ ॥ अर्थ […]

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ब्रह्माकृत शिव स्तोत्रं


परमपिता ब्रह्माने परमात्मा स्वरूपी परंब्रह्म शिवकी उपासना की थी। इस स्तोत्रको ब्रह्मा कृत माना जाता है । नमस्ते भगवान रुद्र भास्करामित तेजसे । नमो भवाय देवाय रसायाम्बुमयात्मने ।। अर्थ :  हे भगवान ! हे रुद्र ! आपका तेज अनगिनत सूर्योंके तेज समान है। रसरूप, जलमय विग्रहवाले हे भवदेव ! आपको नमस्कार है। शर्वाय क्षितिरूपाय नंदीसुरभये नमः । […]

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शिवाष्टकं


शिवाष्टकं : शिवकी स्तुतिमें अनेक अष्टकोंकी रचना हुई है जो शिवाष्टक, लिंगाष्टक, रूद्राष्टक, बिल्वाष्टक जैसे नामोंसे प्रसिद्ध हैं । शिवाष्टकोंकी संख्या भी कम नहीं है । प्रस्तुत शिवाष्टक आदि गुरु शंकराचार्यद्वारा रचित है । आठ पदोंमें विभक्त यह रचना परब्रह्म शिवकी पूजाका एक उत्तम साधन है ।

तस्मै नम:…

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माता लक्ष्मीकी आरती


ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता तुमको निस दिन सेवत, मैयाजीको निस दिन सेवत हर विष्णु विधाता ॐ जय लक्ष्मी माता .. उमा रमा ब्रह्माणी, तुम ही जग माता ॐ मैया तुम ही जग माता सूर्य चन्द्र मां ध्यावत, नारद ऋषि गाता ॐ जय लक्ष्मी माता .. दुर्गा रूप निरन्जनि, सुख सम्पति दाता […]

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सरस्वतीस्तोत्रं


विद्यार्थियोंने विद्याभ्यास से पूर्व हाथ जोडकर मां सरस्वतीसे यह प्रार्थना करते हुए यह स्तोत्र पठन करना चाहिए – या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना । या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवः सदा पूजिता सा मां पातु सरस्वति भगवती निःशेषजाड्यापहा ॥१॥ दोर्भिर्युक्ता चतुर्भिं स्फटिकमणिनिभैरक्षमालान्दधाना हस्तेनैकेन पद्मं सितमपि च शुकं पुस्तकं चापेरण । भासा कुन्देन्दुशङ्खस्फटिकमणिनिभा भासमानाऽसमाना सा मे वाग्देवतेयं […]

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विशेष कार्य सिद्धि हेतु मां दुर्गाके कुछ सिद्ध मंत्र :


सामूहिक कल्याण हेतु मां दुर्गाकी वंदना इस मंत्रद्वारा करना चाहिए- देव्या यया ततमिदं जग्दात्मशक्त्या निश्शेषदेवगणशक्तिसमूहमूर्त्या । तामम्बिकामखिलदेव महर्षिपूज्यां भक्त्या नताः स्म विदधातु शुभानि सा नः ।।  ****** इस मंत्रद्वारा विश्वके अशुभ तथा भयका विनाश करनेके लिए मां दुर्गाकी स्तुति करना चाहिए- यस्याः प्रभावमतुलं भगवाननन्तो ब्रह्मा हरश्च न हि वक्तुमलं बलं च । सा चण्डिकाखिलजगत्परिपालनाय नाशाय […]

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शास्त्र वचन


प्रार्थना : मूक होइ बाचाल पंगु चढ़इ गिरिबर गहन। जासु कृपाँ सो दयाल द्रवउ सकल कलिमल दहन॥2॥ – बालकांड – तुलसी रचित रामचरितमानस भावार्थ:-जिनकी कृपा से गूंंगा बहुत सुंदर बोलने वाला हो जाता है और लंगडा-लूला दुर्गम पहाड़ पर चढ़ जाता है, वे कलियुग के सब पापों को जला डालने वाले दयालु (भगवान) मुझ पर […]

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श्री महालक्ष्म्यष्टकं


नमस्तेऽस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजते । शंखचक्रगदाहस्ते महालक्ष्मी नमोऽस्तुते ॥१॥नमस्ते गरुडारुढे कोलासुरभयंकरि ।सर्वपापहरे देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तुते ॥२॥सर्वज्ञे सर्व वर दे सर्वदुष्टभयंकरि ।सर्वदुःख हरे देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तुते ॥३॥सिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भुक्तिमुक्ति प्रदायिनि ।मंत्रमूर्ते सदा देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तुते ॥४॥आद्यन्तरहिते देवि आद्यशक्ति महेश्वरि ।योगजे योगसंभुते महालक्ष्मी नमोऽस्तुते ॥५॥स्थूलसूक्ष्ममहारौद्रे महाशक्ति महोदरे ।महापापहरे देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तुते ॥६॥पद्मासनस्थिते देवि परब्रह्मस्वरूपिणि ।परमेशि जगन्मातर्महालक्ष्मी नमोऽस्तुते […]

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देव स्तुति


सरसिजनयने सरोज हस्ते धवळतरां शुकगन्धमाल्यशोभे । भगवति हरिवल्लभे मनोज्ञे त्रिभुवनभूतिकरि प्रसीदमह्यम् ।। अर्थ : हे सुंदर नयनोंवाली महालक्ष्मी आपके वर्ण आपके हस्तके कमलोंसे भी श्वेत हैं और आप सुगंधित पुष्पमालासे सुशोभित है ! हे भगवती , हरिप्रिया, आप ही मेरे मनोभावको जानती हैं और आप ही त्रिलोककी जननी और हमारी सुख-समृद्धि आपपर निर्भर करता है […]

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महालक्ष्मी स्तुति


स्मरामि नित्यं देवेशि त्वया प्रेरित मानसः । त्वदाज्ञा शिर धृत्वा भजामि परमेश्वरीम् ।। ।। ॐ महालक्ष्म्यै नमः ।। अर्थ : हे देवी, मैं आपका नित्य समरण करता हूं और आप हमारी प्रेरणास्रोत हैं ! आपकी आज्ञा शिरोधार्य कर, हे परमेश्वरी, आपकी स्तुति करता हूं  ।  

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