देवस्तुति

अन्नपूर्णा स्तुति


अन्नपूर्णे सदापूर्णे शंकरः प्राणवल्लभे । ज्ञान वैराग्य सिद्ध्यर्थं भिक्षां देहि च पार्वती ।।  अर्थ : हे अन्नपूर्णा, शंकरकी प्राणप्रिया , हे पार्वती, हमें ज्ञान और वैराग्यकी प्राप्तिकी भिक्षा दें !

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शिव स्तुति


मंगलं भगवान् शंभुः मंगलं वृषभध्वजः । मंगलं पार्वतीनाथो मंगलायतनो हरः ।। अर्थ : भगवान शंभू मंगलकारी हैं , वृषभध्वज मंगलकारी है, मंगलम पार्वतीनाथ हैं, हर ही मंगल हैं!

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रामायण सूत्र


आदौ रामतपोवनादिगमनं हत्वा मृगं काञ्चनम् वैदेहीहरणं जटायुमरणम् सुग्रीवसंभाषणम् । वालीनिर्दलनं समुद्रतरणं लङ्कापुरीदाहनम् पश्चाद्रावणकुम्भकर्णहननं एतद्धिरामायणम् । इति श्रीरामायणसूत्र ।। अर्थ : आरंभमें प्रभु श्री रामका वनवास गमन,तत्पश्चात स्वर्ण मृगका हनन, सीताका हरण, जटायुका मरण, सुग्रीवसे मित्रता, बालीका संहार, समुद्रका तरण, लंकाका दहन और उसके पश्चात रावण, कुंभकर्णका  हनन, यह है सम्पूर्ण रामायणका प्रसंग अर्थात ये रामायणके […]

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शिव स्तुति


  वन्दे उमापतिं सुरगुरुं वन्दे जगत्कारणम् । वन्दे पन्नगभूषणं मृगधरं वन्दे पशूनां पतिम् । वन्दे सूर्य शशाङ्क वह्निनयन वन्दे मुकुन्द प्रियम् । वन्दे भक्तजनाश्रयं च वरदं वन्दे शिवं शङ्करम् । ॐ नमः शिवाय ।। अर्थ : उमापति, देवोंके गुरुको वंदन है, जगतके कारणको वंदन है । जिनके हस्तमें हिरण हैं अर्थात जो मनको नियंत्रित करनेवाले हैं […]

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कृष्णा स्तुति


आकाशात् पतितं तोयं यथा गच्छति सागरम् । सर्वदेवनमस्कारान् केशवं प्रतिगच्छति ।। अर्थ : जिस प्रकार आकाशसे गिरनेवाला वर्षाका प्रत्येक बूंद महासागरमें समा जाता है उसी प्रकार किसी भी देवताकी की गयी अराधना भगवान श्री कृष्ण तक पहुंच जाती है ।

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राम स्तुति


नीलांबुजश्यामलकोमलांगं सीतासमारोपितवामभागम् । पाणौ महासायकचारुचापं नमामि रामं रघुवंशनाथम् ।। अर्थ : रघुवंशके कुलनायक प्रभु श्री रामको वंदन जिनका कोमल शरीर श्याम रंगके कमल समान है जिनके वामांगी सीता माता है जिनके हाथमें धनुष बाण सुशोभित है !

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कृष्णा स्तुति


  वासनाद्वासुदेवस्य वासितं भुवनत्रयम् । सर्वभूतनिवासोऽसि वासुदेव नमोऽस्तु ते ।। अर्थ : तीनों लोकोंका अस्तित्त्व या अर्थात इनमें सर्वभूतोंका (सजीव एवं निर्जीव ) वास, हे वसुदेवनन्दन, वासुदेव, तेरे इनमें वासके कारण है  तुझे नमन है !

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विष्णु स्तुति


यस्य स्मरणमात्रेण जन्मसंसारबन्धनात् । विमुच्यते नमस्तस्मै विष्णवे प्रभविष्णवे ।। अर्थ : जिनके स्मरण मात्रसे हम जन्म और मृत्युके भवसागरसे पार निकल जाते हैं उस अच्युतको नमन है , उन परमात्मा स्वरूपी विष्णुकी जय हो !

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राम स्तुति


शांतं शाश्वतमप्रमेयमनवं निर्वाणशान्तिप्रदं ब्रह्माशम्भुफणीन्द्रसेव्यमनिशं वेदान्तवेद्यं विभुम् । रामाख्यं जगदीश्वरं सुरगुरुं मायामनुष्यं हरिं वन्देऽहं करुणाकरं रघुवरं भूपालचूडामणिम् ।। अर्थ : सृष्टिके स्वामी जिनका नाम श्रीराम है जो शान्त, शाश्वत, मोक्षदाता और शान्ति प्रदान करनेवाले हैं , जो अनन्त एवं सनातन है, जो ब्रह्मा , शम्भु और शेषद्वारा सतत पूजित हैं, वेदान्तद्वारा विदित हैं, रघुकुल श्रेष्ठ हैं […]

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देव स्तुति


शिवके सहस्र नामोंमें से १०८ नाम (अर्थ सहित) 1. शिव – कल्याण स्वरूप 2. महेश्वर – मायाके अधीश्वर 3. शम्भू – आनंदस्वरूपवाले 4. पिनाकी – पिनाक धनुष धारण करनेवाले 5. शशिशेखर – सिरपर चंद्रमा धारण करने वाले 6. वामदेव – अत्यंत सुंदर स्वरूपवाले 7. विरूपाक्ष – ‍विचित्र आंखवाले( शिवके तीन नेत्र हैं) 8. कपर्दी – […]

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