संतोसे सम्बंधित प्रसंग सदा ही प्रेरणादायी होते हैं | आज ऐसे ही एक प्रसंगके बारेमें जानेंगे | एक दिन एक सेठने सोचा सब कबीर दासजीकी बडी चर्चा करते हैं, मैं भी कल उनके प्रवचन सुनने जाऊंगा, देखूं तो सही ऐसी क्या विशेष बात है उनमें कि सब उनकी प्रशंसा करते हैं | अगले दिन सेठ […]
बात उस समय की है जब दिल्ली के सिंहासन पर औरंगजेब बैठ चुका था। विंध्यावासिनी देवी के मंदिर में उनके दर्शन हेतु मेला लगा हुआ था, जहाँ लोगों की खूब भीड़ जमा थी। पन्नानरेश छत्रसाल उस समय 13-14 वर्ष के किशोर थे। छत्रसाल ने सोचा कि ‘जंगल से फूल तोड़कर फिर माता के दर्शन के […]
एक बार एक दम्पतिको लगा कि बच्चोंने अपने उत्तरदायित्व उठा लिए हैं अतः अब अधिक समय साधनामें देना चाहिए एवं वे ग्रंथोंका पारायण करने लगे | ग्रंथोंको पढनेपर उन्हें बोध हुआ कि बिना गुरुके खरा ज्ञान नहीं मिलता; अतः उन्होंने सोचा अब गुरु धारण करना चाहिए; परन्तु गुरुको कहां ढूंढें इस सोचमें दोनों पड़ […]
श्रीमद्भागवत पुराणमें कथा आती है कि रैवतक नामक राजाकी पुत्री रेवती बहुत लम्बी थी; अत: उसके अनुकूल वर नहीं मिलता था । इसके समाधान हेतु राजा योगबलसे अपनी पुत्रीको लेकर ब्रह्मलोक गए । वे जब वहां पहुंचे तब वहां गंधर्वगान चल रहा था; अत: वे कुछ क्षण रुके । जब गीत पूरा हुआ तो ब्रह्माने […]
एक बार घूमते-घूमते कालिदास हाट पहुंच गये | वहां एक स्त्री बैठी मिली | उसके पास एक मटका था और कुछ प्यालियां पडी थीं | कालिदासने उस स्त्रीसे पूछा : “क्या विक्रय कर रही हो ? “ स्त्रीने उत्तर दिया : “महाराज ! मैं पाप बेचती हूं |” कालिदासने आश्चर्यचकित होकर पूछा : “पाप और […]
संतो से सम्बंधित प्रसंगों ने मुझे सदा ही आकर्षित किया है | मैं बचपन से ही तृप्त व्यक्तितत्व रही थी बस एक ज्ञान पाने की पिपासा अत्यधिक रही अतः ग्रंथों से विशेष लगाव रहा | महाविद्यालय में पहुँचने के पश्चात अपने कपडे स्वयं डिजाईन करने पहनने का , एक नए शौक ने जन्म लिया ( […]
गुजरातके सौराष्ट्र प्रान्तमें नरसिंह मेहता नामक एक उच्च कोटिके सन्त थे | वे जब भजन गाते थे तब श्रोतागण भक्तिभावसे भावविभोर हो जाते थे । उनके भक्तगणोंमें २ युवतियां भी उनकी बहुत बडी भक्तिन थीं । कुछ लोगोंने अपनी दुष्टताके कारण एक झूठी बातका प्रसार कर दिया कि उन दो कुंवारी युवतियोंके साथ नरसिंह मेहताजीका […]
महाराज युधिष्ठिरने जब सुना कि श्रीकृष्णने अपनी लीलाका संवरण कर लिया है और यादव परस्पर युद्ध कर नष्ट हो चुके हैं, तब उन्होंने अर्जुनके पौत्र परीक्षितका राजतिलक कर दिया | स्वयं सब वस्त्र एवं आभूषण उतार दिए | मौन व्रत लेकर, केश खोले, संन्यास लेकर वे राजभवनसे निकले और उत्तर दिशाकी ओर चल पडे | […]
जून 1994 से ही पूर्ण समय नामजप करने का प्रयास करती थी और ईश्वर कृपा से दिसम्बर 1996 तक नामजप अजपा (स्वतः और सदैव) होने लगा था | वर्ष 1997 की बात है मुझे मेरे श्रीगुरु से जुड़े दो महीने भी नहीं हुए थे मैं कार्यालय में कुछ समय के लिए कुछ काम नहीं देख […]
पार्वती माताने एक अनजाने बच्चेके प्राण बचाने हेतु किया अपने तपका दान पार्वतीने भगवान शंकरकी प्राप्ति हेतु तपश्चर्या की । भगवान शंकर प्रकट हुए तथा दर्शन दिए । उन्होंने पार्वतीसे विवाह करना स्वीकार किया तथा वे अदृश्य हो गए । इतनेमें कुछ अंतरपर तालाबमें मगरमच्छने एक लडकेको पकड लिया । लडकेके चिल्लानेके स्वर सुनाई दिए […]