उपासनाके आश्रम हेतु जब हम प्रथम बार भूमिपर आये तो वास्तु तो सात्त्विक थी ही साथ ही ईशान कोणमें एक कुंआ बना हुआ था | उसमें जल भी था और वह कृषिकी सिंचाई हेतु बनायीं गई होगी इसलिए…..
उपासनाके आश्रमके भूमिकी चयन हेतु जब हम (मैं और कुछ साधक) प्रथम बार इस स्थानपर पहुंचे थे तो वह गणेश जयंतीकी शुभ तिथि थी और भूमिपर एक काले रंगका नंदी घास चर रहा था और भूमिपर नीलकंठ…..
हमारे श्रीगुरुने एक बार कहा था कि जब हम गुरुके स्थूल संरक्षणमें रहते हैं तो गुरु हमारी प्रगति हेतु जो आवश्यक है वही साधना व सेवा हमसे करवाकर लेते हैं एवं हमारे लिए आवश्यक एवं योग्य मार्गदशन करते हैं एवं जब हम उनके स्थूल संरक्षणसे बाहर जाते हैं तो ……
साधको, जैसे शरीरके रुग्ण होनेपर हम चिकित्सकोंके पास जाते हैं, वैसे ही मन यदि सामान्य रूपसे वर्तन न कर रहा हो या वह आपके वशमें अधिकांश समय न रहता हो तो कृपया मनोचिकित्सककी सहायता लेनेमें संकोच न करें । हमारे यहां मनोचिकित्सककी अवधारणा इसलिए इतनी प्रचलित नहीं है; क्योंकि यह समाज सदैव ही धर्मनिष्ठ, ईश्वरनिष्ठ […]
अपने घरमें तुलसी और शमीके पौधे लगाएं | ये दोनों ही वास्तुकी शुद्धि करते हैं | तुलसी जहां विष्णु तत्त्वको आकृष्ट करती है वही शमी घरमें शिव व गणपति तत्त्वको बढाता है, इसमें नैसर्गिक रूपसे तेज तत्त्व रहता है जिसके कारण अनिष्ट शक्तियां घरमें प्रवेश नहीं कर पाती हैं……
बौद्धिक एवं शैक्षणिक क्षमता होते हुए भी चाकरी(नौकरी) न लगना, चाकरीमें बहुत श्रम करनेपर भी प्रोन्नति (प्रमोशन) न होना, व्यापारमें भारी हानि होना और वह भी बार-बार होना, चोरी होनेके कारण आर्थिक हानि होना, आग या दुर्घटना होनेके कारण आर्थिक हानि होना यह सब पितृदोषके …..
वास्तुको चैतन्यमय बनानेमें पूजा घरका बहुत बडा हाथ होता है उसका निर्माण एवं रख -रखाव उत्तम ढंगसे करें | इस विषयमें भी आपको पूर्वके लेखोंमें विस्तृत मार्गदर्शन किया ही जा चुका है ……
प्रसन्न रहें । हमारे श्रीगुरुके अनुसार मात्र प्रसन्न रहनेसे घरकी वास्तु १० % तक शुद्ध हो जाती है ! मैंने ऐसा देखा है कि जिनके घरमें कलह-क्लेश अधिक होता है वहां लक्ष्मी अधिक समय नहीं रहती……
स्वयं या पूर्वजोंद्वारा अधर्मसे अर्जित धन भी आर्थिक संकटका कारण बनता है । आजकल अनेक लोग येन-केन प्रकारेण धनका संचय करते हैं । उन्हें ऐसा लगता है कि ऐसा करनेसे वे अपनी भावी पीढीके लिए सुख-शान्तिकी व्यवस्था कर रहे हैं; किन्तु ऐसा है नहीं…..
हिन्दू धर्ममें स्त्रीको गृह लक्ष्मी कहते हैं | धर्मप्रसारकी सेवाके मध्य देश-विदेशमें अनेक लोगोंके घरपर रहना हुआ है, इसी क्रममें मैंने पाया कि कुछ पुरुषोंके भाग्यमें धन मात्र उनकी पत्नीके भाग्य एवं सद्वर्तनके कारण आया; और…….