मेरी बहन जिस युवकसे विवाह करना चाहती थी, उससे विवाहके लिए मेरे माता-पिता सिद्ध (तैयार) नहीं थे; इसलिए उसका विवाह नहीं हो पा रहा था । ‘उपासना’से जुडनेके पश्चात मुझे समझमें आ गया था कि हमारे घरमें तीव्र स्तरका पितृदोष है । मैंने साधना आरम्भ की और साथ ही धर्मप्रसारकी सेवा आरम्भ कर दी । […]
जब कोई साधक साधना पथपर अग्रसर होने लगता है, तो ईश्वर उसे अनुभूति देते हैं और अनुभूतिके सहारे साधक, साधना पथपर और अधिक उत्साहसे आगे बढने लगता है । अनुभूति मन एवं बुद्धिसे परे, हमारी सूक्ष्म ज्ञानेन्द्रियोंके माध्यमसे हमारी जीवात्माको होती है, उसका मन एवं बुद्धिके स्तरपर विश्लेषण करना कठिन है । अनुभूतियोंसे हमारी श्रद्धा […]