क्या मुझे कोई बताएगा कि सामूहिक बलात्कार करनेवालेके नाम और मुखको छुपाया क्यों जाता है ? ऐसे अपराधीको सार्वजनिक करना चाहिए, जिससे उनकी बहनोंको पता चले कि वे जिस कलाईपर राखी बांधती थीं, वह एक भाईकी नहीं, वरन एक राक्षसकी कलाई थी और उसके मां व पिताको भी पता चले कि उनके माध्यमसे एक राक्षसने […]
कहा गया है जब राजा पापी हो जाये, प्रजा अधर्मके मार्गमें सुख लेने लगे , शोषित स्त्रीकी करूण चीत्कारसे वातावरण द्रवित हो जाये और ढोंगी गुरु फलने फूलने लगे तो समझ लें घोर कलियुग और विनाशका काल आ गया है !!-तनुजा ठाकुर
भारतवर्षके स्वतंत्र होनेके पश्चात इस देशमें जहां नब्बे प्रतिशत हिंदु रहा करते थे उसे धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र घोषित करना यह हमारे राष्ट्रके नवनिर्माताकी सबसे बडी भूल रही और उसका परिणाम आज सर्वत्र देखा जा सकता है। आज चहुं ओर धर्मग्लानि, व्यभिचार और भ्रष्टाचार व्याप्त है। सनातन धर्मके सिद्धान्तके बारे आज अधिकांश हिंदुओंको तनिक भी जानकरी नहीं […]
मेरे कुछ मित्रों जानना चाहते है कि मेरी हिंदी भाषा के प्रयोग में उर्दू शब्द नहीं होते और वह प्रभावशाली होता है इसके लिए मैं क्या प्रयास करती हूँ ? मेरे श्री गुरु परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवले ने एक बार कहा था की संस्कृतनिष्ठ हिंदी ही हमारी राष्ट्र भाषा है अतः उस दिन से […]
जबसे इस देशके क्षत्रियोंने अहिंसाका पाठ पढा है (बौद्ध कालसे यह आरम्भ हुआ) तबसे बाह्य आक्रमणकारियोंकी इस देशपर प्रभुत्व करनेकी इच्छा बलवती होती चली गई और अनेक शतकोंसे इस राष्ट्रपर कोई न कोई राज करता आ रहा है और आज तो भ्रष्ट, आपराधिक और सत्तालोलुप राज्यकर्ताओंने इस देशकी आन्तरिक और बाह्य दोनों ही सुरक्षाको संकटमें […]
संस्कृतमें एक सुवचन है – ‘वचनं किं दरिद्रता’ अर्थात् वचनसे भला क्यों दरिद्र बनें ! आज अधिकांश हिंदुओंकी स्थिति ऐसी ही है, यदि कोई राष्ट्र और धर्मके लिए कुछ विशेष प्रयत्न करता है तो अनेक व्यक्ति उनके समक्ष अपनी अलंकृत भाषामें उनकी भूरी-भ्रूरी प्रशंसा करते हैं; परंतु कार्यमें योगदान देने हेतु कुछ भी प्रयास नहीं […]
आजके तथाकथित धर्मद्रोही बुद्धिवादियोंके मानवतावादका ढोंग एवं समस्याओंके निवारण हेतु उनके अधर्मी सुझाव !! धर्म और अध्यात्म के ज्ञानसे विरहित कुछ तथाकथित धर्मद्रोही बुद्धिवादियोंका मत है कि धार्मिक कृत्यों या कर्मकांडमें धनका अपव्यय न कर उस धनसे निर्धनोंको भोजन कराना चाहिए !!! किसी समस्याका मूल कारण जानें बिना उसका निराधार एवं धर्मद्रोही सुझाव देनेवालोंको सर्वप्रथम […]
धर्म प्रसारके मध्य मैंने पाया है कि कुछ हिन्दू माता पिता स्वयं साधना करनेका प्रयास तो अवश्य करते हैं; परन्तु अपने संतानको इससे दूर ही रखते हैं उन्हें लगता है कि कहीं वे पूर्ण समय साधना करनेका निर्णय न ले लें ! यही हिन्दू धर्मकी विडम्बना है, एक ईसाईका कोई सम्बन्धी पादरी या नन बन […]
जब यूनानी आक्रमणकारी सेल्यूकस चन्द्रगुप्त मौर्यसे पराजित हो गया और उसकी सेना बंदी बना ली गई, तब उसने अपनी सुन्दर सुपुत्री हेलेनाके विवाहका प्रस्ताव चन्द्रगुप्तके पास भेजा । सेल्यूकसकी सबसे छोटी पुत्री हेलेना अत्यन्त सुन्दर थी, उसका विवाह आचार्य चाणक्यने सम्राट चन्द्रगुप्तसे कराया; परन्तु उन्होंने विवाहसे पूर्व हेलेनाके समक्ष चन्द्रगुप्तसे कुछ अर्हताएं (शर्तें) रखीं; जिसके […]
राजधर्म धर्मका अविभाज्य अंग है परंतु एकांगी साधना करनेवाले कहते हैं कि धर्म और राजनीतिका अस्तित्त्व भिन्न है। सत्य यह है कि सृष्टिके निर्माण के पश्चात ईश्वरने सर्वप्रथम राजधर्मके सिद्धान्त प्रतिपादित किए। पुरातन कालमें समाज सुखी इसलिए था क्योंकि राजा धर्मका पालन अपने सद्गुरु अर्थात धर्मके आधारपर करते थे – तनुजा ठाकुर