धर्म

लक्ष्मणकी जीतेंद्रियता


जब सीता माताके आभूषणका अभिज्ञान करने हेतु भगवान श्री रामने लक्ष्मण से कहा , तो लक्ष्मण अपने जितेंद्रियन्ताका परिचय देते हुए कहा कि मैं उनके मात्र उनके नूपुरका अभिज्ञान कर सकता हूं; क्योंकि मेरी दृष्टि मात्र उनके चरणोंपर रहती थी ! ऐसी है हमारी दैवी संस्कृति जिसका पाश्चात्यों और धर्मान्धोंके इस देशमें आक्रमणने नष्टप्राय कर […]

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विदेशमें रहनेवाले अधिकांश हिन्दुओंके बच्चोंको विचित्र प्रकारके रोग हो गए है !


विदेशमें रहनेवाले कुछ हिंदुओंसे सम्पर्कमें आनेके पश्चात् यह ज्ञात हुआ है कि जो वहांकी चकाचौंधमें रमनेके पश्चात भारत जैसे देशका परित्याग कर, अपना धर्मपालन करना तक छोड चुके होते हैं, उनके बच्चोंको विचित्र प्रकारके रोग हो गए है ! अर्थात् विदेशी वातावरण, भोजन , रहन -सहन एवं वहांकी तमोगुणी संस्कृतिसे उनकी पीढी  रोगग्रस्त हो गई है ! […]

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अपने बच्चोंको आध्यात्मिक पोषण देना पालकोंका उत्तरदायित्त्व है


आजकल हमारी जीवन शैली आधुनिकीकरण की दौडमें तमोगुणी होती जा रही है फलस्वरूप बच्चोंको गर्भसे ही अनिष्ट शक्तियोंका कष्ट रहता है और ऐसे बच्चे ज्यों-ज्यों बडे होते हैं, उनके कष्टका प्रकटीकरण अनेक समस्याओंके माध्यमसे होने लगता हैं। अतः बच्चोको शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक पोषणके साथ ही आध्यात्मिक पोषण भी अवश्य दें यह काल की मांग […]

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स्वस्थ शरीर, स्वस्थ मन, सात्त्विक बुद्धि, अल्प अहम् हेतु क्या करें ?


स्वस्थ शरीर हेतु – आयुर्वेदके अनुसार ऋतु अनुरूप पौष्टिक आहार ग्रहण करना, प्रतिदिन प्राणायाम एवं  योगासन  करना या २० मिनटके लिए व्यायाम या सैर करना चाहिए । स्वस्थ मन हेतु – अपने स्वभावदोषोंको न्यून कर समाप्त करने हेतु प्रयास करना चाहिए, इस हेतु अपनी चूकें प्रतिदिन अभ्यास पुस्तिका या दैनन्दिनीमें लिखकर उन दोषोंको न्यून करने […]

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परस्त्रीको ‘मैडम’ संबोधित नहीं करें !!!


पुरुषों ! काम वासना रूपी भस्मासुरने सर्वत्र आक्रमण कर दिया है ! अतः परस्त्रीको ‘मैडम’ संबोधित करनेके स्थानपर ‘मां’ स्वरूपमें सम्बोधन आरंभ करें, चाहे सामनेवाली स्त्रीको वह मान्य हो या नहीं हो, यह अपने लिए करें, यही हमारी प्राचीन वैदिक संस्कृति रही है। मात्र यह स्वरूप ही आपको बचा सकता है अन्यथा इस वासना रूपी […]

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उपदेशककी वाणीमें चैतन्य ही समाजको प्रत्यक्ष कृति करनेकी और सुधरनेकी प्रेरणा देता है !!!


कुछ दिवस पूर्व मैं विदेशमें एक मन्दिरमें प्रवचन ले रही थी, उस मन्दिरके पुजारीने मेरे प्रवचनके मध्यमें मुझे रोककर मुझे कुछ बतानेके लिए कहा, मैंने स्वीकृति दी । दस मिनटके पश्चात् पुनः वे मुझे टोक कर बोलने लगे आप इन्हें जन्मदिनमें ‘केक काटने’के लिए मना करें; क्योंकि मैं कहता हूं तो कोई मानते नहीं ! […]

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दुर्जनोंको दण्ड ही दिया जाना उचित है


कुछ व्यक्ति, दुर्जनोंका भी प्रेमसे हृदयपरिवर्तन करनेका उपदेश देते फिरते हैं, ऐसे सभी उपदेशक, तालिबानी और ‘इसिस’ क्षेत्रमें जाकर अपने प्रेमका कुछ प्रभाव दिखाएं और उनका मन:परिवर्तन कर सकें तो मैं उनके ‘प्रेम शास्त्र’को मान जाऊं ! उसके लिए अफगानिस्तान या सीरिया जानेकी आवश्यकता नहीं है, हम हिन्दुओंकी अकर्मण्यताके कारण अब कश्मीरमें भी ‘इसिस’ पहुंच […]

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क्रोध और क्षात्रवृत्तिके मध्य भेद न समझनेवाले हिंदुओंकी संख्यामें अत्यधिक वृद्धि हुई है !!


क्रोध और क्षात्रवृत्तिके मध्य भेद न समझनेवाले हिंदुओंकी संख्यामें अत्यधिक वृद्धि हुई है ! जैसे किसीके सामने उसकी मां-बहनका कोई शील हरण कर रहा हो और उसे यह देखकर क्रोध न आए तथा वह उस दुर्जनका प्रतिकार न करे तो ऐसे पुरुषको नपुंसक कहते हैं, उसी प्रकार धर्मग्लानिको देखकर जब आक्रोश निर्माण हो और क्रोध […]

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व्यक्ति निष्ठ नहीं तत्त्वनिष्ठ बनें !


कुछ छोटे स्तरके फिल्मी निर्देशकोंने मुझपर documentary फिल्म बनानेका मुझसे अनुरोध कर चुके है और वैसे ही अनेक पत्रकार भी मेरे बारेमें छापनेकी इच्छा दर्शाई है, कुछ तो मेरे जीवन चरित्र भी लिखने हेतु मुझसे संपर्क कर चुके हैं; परंतु मेरे बारेमें फिल्में बनाकर या छापकर क्या मिलेगा, आज जब सर्वत्र धर्मग्लानि हो रही है […]

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भारतीय हिन्दुओंका विदेश गमन – वरदान या अभिशाप ?


विगत वर्ष धर्मयात्रा अंतर्गत विश्वके कुछ देशोंमें जाना हुआ । विदेश जानेके पश्चात् कुछ प्रमाणमें यहांकी अपेक्षा हिन्दुओंको अपने धर्मके प्रति अधिक सजग देखा। नेपालको छोडकर दुबई, सिंगापूर, थाईलैंड, जर्मनी, इटली, ऑस्ट्रिया एवं स्विट्ज़रलैंडमें जानेके पश्चात् भौतिकतावाद किसे कहते हैं, यह समझमें आया। मैंने ऐसा पाया कि दो वर्गोंके भारतीय हिन्दुओंका विदेश जाना होता है, […]

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