वर्तमान कालमें अनेक लोगोंको हिन्दू धर्मके मुख्य ग्रन्थोंके विषयमें जानकारी नहीं है। सत्य तो यह है कि हमारे धर्मग्रन्थोंकी विशाल थातीको मलेच्छ आक्रमणकारियोंद्वारा हिन्दू धर्मके प्रति द्वेषके कारण नष्ट कर दिया गया; कुछ ग्रन्थ तो लोगोंकी असावधानीके कारण नष्ट हो गए और कुछ कीडोंके कारण; किन्तु जो बचे हुए हैं, उन्हें भी लोग पढते नहीं, […]
कुछ हिन्दू धर्माचार्योंने अब खुलकर उन कथावाचकोंका विरोध करना आरम्भ कर दिया है, जो सर्वधर्मसमभावका समर्थन व्यासपीठसे करते हैं ! यह बहुत पहले ही होना चाहिए था; किन्तु देर ही सही, इसका निश्चित ही व्यापक प्रभाव पडेगा एवं हिन्दुओंके लिए एक स्वधर्माभिमानयुक्त नूतन कालका शुभारम्भ होगा । हम उनके इस विरोधका अनुमोदन करते हैं ।
एक बार एक सन्त कह रहे थे कि हिन्दू राष्ट्रसे पूर्व आनेवाला काल ऐसा रहेगा कि विद्यार्थी विद्यालय भी नहीं जा पाएंगे । उनकी पढाईमें तीन-चार वर्षोंतक अनेक व्यवधान आएंगे । वर्तमान परिप्रेक्ष्यमें वह सब चरितार्थ होते दिख रहा है ! भारत भूमिमें ऐसे अनेक द्रष्टा सन्त हुए हैं, जो वर्तमान कालमें घटित होनेवाले सभी […]
राजधर्म, स्वधर्म पालनसे अधिक श्रेष्ठ होता है, यह हम सबके प्रिय योगीजीने पुनः सिद्ध कर दिया ! अपने पूर्वाश्रमी जन्मदाता पिताकी निधनपर उनके अन्त्तिम संस्कारमें उपस्थित न रहकर अपना राजधर्म निभानेवाले योगीजी आजके सभी राजेंताओंके आदर्श होने चाहिए ! मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीरामने भी राजधर्मका पालन करते हुए अपनी प्राणप्रिया सीताजीका परित्याग किया था ! […]
जैसाकि आपको बताया है, आजकलके ‘पति’में ‘स्वामी’के गुणोंका अभाव पाया जाता है, वैसे ही स्त्रियोंमें भी गृहलक्ष्मीके गुणोंका अभाव देखा गया है । गृहलक्ष्मीका अर्थ ही घरकी लक्ष्मी अर्थात जो घरमें अपने धर्म अधिष्ठित आचरणके कारण …..
स्वामी अर्थात जो अपने संरक्षणमें आई स्त्रीका योग्य प्रकारसे पालन-पोषण करते हुए, उससे आध्यात्मिक मार्ग प्रशस्त करे ! धर्मप्रसारके कारण मेरा अनेक लोगोंसे सम्पर्क होता रहता है; किन्तु एक बात जो मैंने पाई है कि …..
यदि बाल्यकालमें ही बच्चोंको पाप और पुण्य कर्मोंके एवं उनके परिणामके विषयमें धर्मशास्त्र क्या कहता है यह सिखाया गया होता तो इस देशमें सब कुछमें इतने व्यापक स्तरपर मिलावट नहीं पाया जाता है ! धर्मनिष्ठ व्यक्ति पाप कर्म करनेसे पूर्व दस बार सोचता है !
बुद्धिजीवी कौन ? (भाग – १) नास्तिक कभी बुद्धिजीवी नहीं हो सकता है ! जिस ईश्वरके बने इस संसारके बिना वह एक क्षण सांस भी नहीं ले सकता है, उसकी सत्ताको अस्वीकार करनेवाला, बुद्धिजीवी कैसे कहलानेका अधिकारी हो सकता है ?
एक खरा हिन्दू ही सम्पूर्ण जीवमात्रका कल्याण सोच सकता है और चींटीतकको बिना कारण कष्ट नहीं पहुंचा सकता तथा राष्ट्र एवं धर्मको हानि पहुंचानेवालेको कठोर दण्ड दे सकता है । ऐसे ही हिन्दूके बारेमें गुरु गोविन्द सिंहजीने कहा था, ‘सवा लाख ते एक लडाऊं, चिडिते बाज लडाऊं’ ।
हिन्दू धर्म बहुत ही सहिष्णु धर्म है | यह सर्वेषाम् अविरोधेनके सिद्धांतमें विश्वास रखता है | इसलिए भारत देशमें अनेक पंथ और सम्प्रदाय फले-फूले ……..