धर्म

हिन्दू धर्ममें जाति व्यवस्थाकी उत्पत्ति कैसे हुई ?


किसी व्यक्तिका वर्ण (अर्थात आध्यात्मिक क्षमता ) क्या है ?, यह कोई आत्मज्ञानी संत ही बता सकते हैं , जैसे जैसे युगोंका प्रवाह होता गया , धर्मका एक-एक अंग नष्ट होता गया; अतः आजके उत्पत्ति-सम्बन्धी विज्ञान….

आगे पढें

सनातन धर्म सर्व पन्थोंका मूल है


यूरोप धर्मयात्राके मध्य २१ जून २०१३ को इटलीमें रहनेवाले भिन्न देशोंके नागरिकोंद्वारा अनुसरण किए जानेवाले भिन्न धर्मों एवं पन्थोंके प्रतिनिधियोंको एक स्थानीय मेलेके उद्घाटन समारोहमें अपने-अपने धर्मके विषयमें कुछ मिनिट…..

आगे पढें

मार्गदर्शक सदैव योग्य व शास्त्रसम्मत आचरण करें !


कुछ धर्मगुरु या मार्गदर्शक अपने भक्तोंके आग्रहपर पाश्चात्य संस्कृतिका अनुकरण करते हैं ।  जैसे एक धर्मगुरुके जन्मदिनके कार्यक्रममें मुझे आमन्त्रित किया गया था । उनके कार्यक्रममें एक भक्त केक……

आगे पढें

गीताकी सीखको आत्मसात करें


वर्तमान कालमें हिन्दू समाजको गीताके खरे ज्ञानकी सीख देनेवाले धर्मगुरुओंकी है, अत्यधिक आवश्यकता भगवद्गव्यका ज्ञान भगवान श्रीकृष्णने अर्जुनको उसे अपने क्षत्रिय धर्ममें पुनः प्रवृत्त करने हेतु दिया था । अर्थात गीता हमें अन्याय एवं अधर्मके विरुद्ध धर्मपालन करनेकी सीख देती है । यदि सम्पूर्ण गीता कण्ठस्थ हो और समाजमें व्यभिचार, अराजकता, अनाचार, भ्रष्टाचार इत्यादि व्याप्त […]

आगे पढें

श्रीकृष्ण पूर्णावतार परमेश्वर हैं


आजकल अनेक आध्यात्मिक संस्थाएं यह कहती हैं कि श्रीकृष्ण भगवान नहीं थे, वे मात्र एक मार्गदर्शक थे या गुरु थे और सामान्य व्यक्ति समान ही थे । ऐसी संस्थाएं जो अध्यात्मके परम मर्मज्ञ एवं परमेश्वर स्वरूपी कृष्णको भगवान नहीं मान सकती हैं, वे आध्यात्मिक हो ही नहीं सकतीं, इस तथ्यका सभी हिन्दू अवश्य ध्यान रखें […]

आगे पढें

गुरु गोविन्द सिंहने पन्थ स्थापित क्यों किया


गुरु गोविन्द सिंहजीने कहा था, “आज्ञा भई अकालकी तभी चलायो पन्थ, सब सिक्खनको हुकुम है, गुरु मानयो ग्रन्थ ।” अर्थात सन्त या अध्यात्मविद, कालानुसार भिन्न पन्थोंकी स्थापना, विशेष कारण एवं विशिष्ट कार्य हेतु, विशेषकर धर्मरक्षणार्थ या अपनी साधना-पद्धतिके प्रसार हेतु, ईश्वर आज्ञा अनुरूप करते रहे हैं । गुरु गोविन्द सिंहजीने भी ईश्वराज्ञा अनुरूप खालसा पन्थकी […]

आगे पढें

सन्त अथवा गुरुको असत्य बोलना महापाप है !


मैंने पाया है कुछ तथाकथित साधक सन्तोंसे या अपने गुरुसे झूठ बोलते हैं, शास्त्र कहता है, झूठ बोलना या मिथ्या बोलना पाप है और सन्तोंसे झूठ बोलना एक अक्षम्य अपराध है ! सन्तोंसे कुछ छिपा नहीं होता है; अतः उनसे झूठ बोलकर भी आप उनसे कुछ भी छुपा नहीं सकते हैं अपितु ऐसा करनेसे आपकी […]

आगे पढें

आज प्रत्येकको धर्म सिखानेकी आवश्यकता !


कुछ समय पूर्व इंदौर आश्रममें गृह प्रवेशका कार्यक्रम निमित्त एक छोटासा हवन रखवाया था, हम यहां किसी पण्डितको नहीं जानते हैं; इसलिए किसी परिचितके माध्यमसे एक पुरोहितको बुलाया था, इससे पूर्व उनके गुरुजीसे भी वार्तालाप हुई थी…..

आगे पढें

दशहरेपर शस्त्र पूजन करें !


दशहरा निमित्त अपने घरपर शस्त्रपूजन अवश्य करें । अंग्रेजोंने ‘आर्म्स एक्ट’ लाकर हमें शस्त्रविहीन क्या कर दिया, हम तो क्षात्रतेजविहीन ही हो गए । आपके घरमें छूरी, कैंची, भाला, तलवार, खड्ग इत्यादि जो भी हो उसे प्रभु श्रीरामके समक्ष रख उसका पूजन कर….

आगे पढें

कर्तव्यनिष्ठ स्त्रीमें अथाह शक्ति


एक चरित्र सम्पन्न कर्तव्यनिष्ठ स्त्रीमें इस सम्पूर्ण ब्रह्माण्डको हिलानेकी क्षमता होती है, माता अनसूया इसकी सर्वश्रेष्ठ उदाहरण हैं ।

आगे पढें

© 2021. Vedic Upasna. All rights reserved. Origin IT Solution