अध्यात्म एवं साधना

अनेक गुरुके भक्त कहते हैं कि हमारे कष्ट बढ गए हैं हम क्या करें ?


वर्ष २०१९ तक सभी साधक और संत वृंदको तीव्रतम कष्ट होने वाला है । कालचक्र विपरीत दिशामें घूम रहा है अतः पूरे विश्वमें  अभी कुछ वर्ष यह क्रम चलेगा । आपके (साधकोंके) कष्ट और आपके कुटुंबको होनेवाले कष्टसे आपकी श्रद्धा ईश्वर और गुरुसे कम न हो और हम सब सकुशल जीवित रह जाएंं यह इस […]

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भक्तियोगद्वारा सभी योगमार्ग साध्य करना संभव


भक्तियोग अंतर्गत नामसंकीर्तनयोगका मार्ग अनुसरण करनेसे जब नामजप अखंड हो जाता है, तब जागृतावस्थामें ही ध्यान साध्य हो जाता है । जब नामजप अखंड हो जाये तब कर्म भी अकर्म होने लगते हैं अर्थात् कर्म फलका सिद्धान्त लागू नहीं होता अतः कर्मयोग भी साध्य हो जाता है । ॐ अर्थात् ईश्वरका निर्गुण स्वरूप या नाम […]

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अध्यात्म अनुभूतिका शास्त्र है


अध्यात्म अनुभूतिका शास्त्र है और उसकी अनुभूति लेने हेतु अध्यात्मको कृति अर्थात् आचरणमें लाना आवश्यक होता है, और अध्यात्मको अचारणमें जो उतारने लगते हैं उन्हें साधक कहते हैं – तनुजा ठाकुर

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अल्पायुसे ही साधना करना क्यों आवश्यक है ? (भाग – ३)


गृहस्थ जीवनमें होने वाले ८०% समस्याओंका मूल कारण आध्यात्मिक होता है ! आज विश्वकी १०० % जनसंख्या धर्माचरणके अभावमें पितृदोष और अनिष्ट शक्तियोंके कष्टसे पीडित है । अनेक गृहस्थके जीवनमें धन एवं सारे वैज्ञानिक सुख-साधन होते हुए भी उनका जीवन कष्टोंसे घिरा रहता है । पाश्चात्य संस्कृतिके अंधानुकरण और वैदिक संस्कृति अनुसार धर्माचरण नहीं करनेके […]

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धर्म प्रसारकी सेवासे साधना कैसे होती है ?


धर्मप्रसारकी सेवा अर्थात वर्णानुसार साधनाका एक उत्तम माध्यम : धर्मप्रसारकी सेवा में बुद्धि अर्पण कर धर्मशिक्षण देनेवालोंकी ब्राह्मण वर्णकी सेवा हो जाती है, संत-गुरु, देवी-देवता, धर्मग्रंथ, गौ, गंगा, भारतमाता इत्यादिकी विडम्बना रोकने हेतु, धर्म रक्षणार्थ समाजको मानसिक रूपसे धर्मद्रोहियोंके विरुद्ध कृति करनेके लिए प्रेरित करने एवं स्वयं भी इस हेतु प्राण अपर्ण करनेकी तैयारी रखनेको क्षत्रिय […]

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उच्च कोटिके संतके अस्तित्व मात्रसे उनके कार्य पूर्ण हो जाते हैं


जैसे मात्र सूर्यके अस्तित्वसे संसार जाग कर कार्यरत हो जाता है उसी प्रकार उच्च कोटिके संतके अस्तित्व मात्रसे उनके कार्य पूर्ण हो जाते हैं – तनुजा ठाकुर

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सुबहकी शुरुआत कैसे करें ?


सुबहकी शुरुआत समाचार पत्र पढकर न करें आज समाचार पत्रोंमें अधिकतर तमोगुणी समाचार जैसे भ्रष्टाचार, लूटपाट, दुर्घटना, चोरी, बलात्कार इत्यादिके ही अधिकतर समाचार रहते हैं इसका हमारे सूक्ष्म देह अर्थात् मन एवं बुद्धि पर सुबहके समय विपरीत प्रभाव पडता है और दिन भर यह अनावश्यक आवरण हमारे बौद्धिक एवं मानसिक क्षमताको घटा देता है और […]

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प्रत्येक परिस्थितिमें आनंदित रहनेके प्रयासको साधना कहते हैं


प्रत्येक परिस्थितिमें आनंदित रहनेके प्रयासको साधना कहते हैं और जिस साधकने इस गूढ रहस्यको जान, प्रत्येक परिस्थितिमें आनंदमें रहना सीख लिया, उसके लिए साधना पथपर अग्रसर होना सहज हो जाता है -तनुजा ठाकुर

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धर्मशिक्षणका अभाव


धर्मशिक्षणके अभावमें अधिकांश हिन्दु कर्मकांड अर्थात् भक्तियोगके प्रारम्भिक चरण अनुसार साधना कर सम्पूर्ण जीवन व्यतीत कर देते हैं अर्थात् साधनाके एक ही कक्षामें रह जाते हैं – तनुजा ठाकुर

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सन्तोंका आश्रम रामराज्यकी होती है एक छोटी इकाई  


हमारी भारतीय संस्कृति सदा ही वर्ण व्यवस्था आधारित थी, परन्तु धर्मकी ग्लानि होनेपर जाति व्यवस्थाके विकृत स्वरूपने वैदिक सनातन धर्मको खोखला कर दिया । हमारी संस्कृतिमें गुण, कर्म और त्यागको प्रधानता दी जाती थी और उसी अनुसार पद भी दिये जाते थे । आज भी किसी पूर्ण सन्तके आश्रममें जाकर वर्ण व्यवस्थाकी पूर्ण झलक किसी […]

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