धर्म

नूतन देवालयका निर्माण करनेकी अपेक्षा पुराने देवालयका जीर्णोद्धार कर उससे करें धर्मकार्य


हिन्दुओ ! नूतन देवालयोंका (मन्दिरोंका) निर्माण करनेसे पूर्व आपके आस-पासके मन्दिरोंकी योग्य प्रकारसे रख-रखाव, पूजा-अर्चना हो रही है या नहीं ?, यह देखें ! आपके निकट देवालय उपेक्षित पडा हो और आप नूतन देवालयका निर्माण कर रहे हों तो इसमें कोई बडप्पन नहीं है । उपेक्षित देवालयोंको धर्मशिक्षण स्थल बनाकर अपने नेतृत्व और साधकत्वका परिचय […]

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जर्मनीमें अफगानिस्तानसे शरणार्थी बनकर आये हिन्दुओंके सन्दर्भमें मेरे अनुभव


अ. कुछ वयोवृद्ध मुसलमानी टोपी पहनकर मंदिरमें आते हैं, जब मैंने उन्हें बताया कि इससे उनके मन एवं बुद्धिपर काला आवरण निर्माण होता है तो वे उसे सुन लिए और कहा भी कि वे उसे उतार देंगे; परन्तु एक दूसरे व्यक्तिने कहा कि दो तीन संतोंने उन्हें ऐसा करनेसे रोका है परन्तु वे उसे पहनना […]

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देवता एवं असुरमें जिसकी भक्ति श्रेष्ठ होती थी वह धर्मयुद्धमें जीतता था |


हमारे अनेक धर्मग्रंथोंमें देवासुर संग्राममें उल्लेख किया गया है कि असुर भी शिव भक्त हुआ करते हैं, और देवता एवं असुरमें जिसकी भक्ति श्रेष्ठ होती थी वह धर्मयुद्धमें जीतता था। जब असुर देवताको कष्ट दे सकते हैं, तो हम क्या हैं, स्वयं सोचें ! ध्यानमें रहे, हमसे अधिक एकाग्रतासे और दृढ़तासे आसुरी शक्ति हमें धर्मके मार्गसे […]

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हमारी भारतीय संस्कृतिमें कलाको ईश्वरप्राप्ति हेतु योगमार्गके रूपमें देखा जाता था |


हमारी भारतीय संस्कृतिमें कलाको ईश्वरप्राप्ति हेतु योगमार्गके रूपमें देखा जाता था। आज कलाका दुरुपयोग वासना तृप्ति हेतु किया जाता है ! पहले कलाकार अपनी कलाकी प्रस्तुतिमें अवतारों, संतों, सिद्धों, महापुरुषों,राष्ट्रनायकों, तपस्विनी नारियोंकी कथाएं प्रस्तुत करते थे। आज पतित स्त्री और कामी पुरुषोंकी जीवनकथाओंको प्रस्तुत कर समाजके मनको दूषित किया जा रहा है और ऐसे कलाकारोंको […]

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धर्मकी रक्षा


धर्म की रक्षा करनेवालोंकी रक्षा और संगोपन (देखभाल ) धर्म, दोनों ही करने में सक्षम है !!

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कुछ पाठकगण मुझसे पूछते हैं मैं किस राजनैतिक पक्षसे या किस हिन्दुत्ववादी संघटनसे हूं ?


मेरे उत्तर सरल है मैं न किसी भी विशिष्ट राजनीतिकपक्षनिष्ठ हूं, न व्यक्तिनिष्ट हूं, मैं ईश्वरनिष्ठ हूं ! चाहे कोई हिन्दुत्ववादी पक्ष हो या नेता या संगठन यदि राष्ट्रहित और हिंदुधर्म रक्षणार्थ कार्य करे तो मैं उनके सदैव साथ हूं; किन्तु यदि उनसे कोई चूक होती है तो मुखर होकर, उसका समाज हित एवं राष्ट्र […]

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धर्मसिद्धान्त


उत्कृष्ट कृति करनेपर पारितोषिक प्रदान करना और अयोग्य करनेपर दण्ड देना यह धर्मसिद्धान्त है ! जब इस सिद्धान्तकी उपेक्षा होती है, तब समाजमें व्यभिचार व्याप्त होते देर नहीं लगती -तनुजा ठाकुर  

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आजके कुकर्मी एवं भ्रष्ट राजनेताओंको लगता है कि……


आजके कुकर्मी एवं भ्रष्ट राजनेताओंको लगता है कि धन और बलकी सहायतासे यहांके न्यायालयके दंडसे वे बच सकते हैं; परंतु चित्रगुप्त जो हमारे प्रत्येक कर्मका लेखा-जोखा रखते हैं उनके दंडसे वे कैसे बचेंगे ?-तनुजा ठाकुर

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धारावाहिकों में या फिल्मों में देवी देवता के पात्र का अभिनय करनेवाले पात्रों के चित्र को देव रूप में न पूजे !


हिंदुओं दूरदर्शन के धारावाहिकों में या फिल्मों में देवी देवता के पात्र का अभिनय करनेवाले पात्रों के चित्र को देव रूप में न पूजे ! ध्यान रहे वे अभिनेता /अभिनेत्री हैं आज देव-देवी का अभिनय करेंगे , कल किसी ने अधिक पैसे दिये तो वे किसी दुर्जन के पात्र का अभिनय करेंगे ! कितने अभिनेता […]

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जैसा राजा होगा वैसा ही काल होगा !


एक बार युधिष्ठिर ने भगवान श्री कृष्ण से पूछा ” काल अयोग्य इसलिए दुर्योधन की मति परिवर्तित हो गयी है या दुर्योधन दुराचारी है इसलिए काल प्रतिकूल आ गया है ? श्री कृष्ण ने कहा ” राजा कलस्य कारणम ” अर्थात जैसा राजा होगा वैसा ही काल होगा ! राजा दुर्जन होगा तो प्रजा भी […]

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