धर्म

कुछ पुरुषोंकी बहिर्मुखता देख ग्लानि होती है !


कुछ पुरुषोंकी बहिर्मुखता देख ग्लानि होती है ! जब भी स्त्रियोंके प्रति हो रहे अमानवीय अपराधके बारेमें लिखती हूं तो कुछ पुरुष सारा दोषारोपण स्त्रियोंपर सौंप अपना पल्ला झाड लेते हैं , कहते हैं स्त्रियां अर्ध नग्न वस्त्र पहनती हैं इसलिए ये सब हो रहा है इसलिए पुत्रियोंको शिक्षा देनी चाहिए ! पुत्रोंको सिखाएंं , […]

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कलियुगी अर्थात् मायावी धर्म


द्वापर युग युग तक एक ही धर्म था वैदिक सनातन धर्म , कलियुग के प्रवेश होते ही मांत्रिकोंने (सूक्ष्म जगतकी बलाढ्य आसुरी शक्ति) कुछ आध्यात्मिक दृष्टिसे किन्तु जिनका अहम् अधिक था ऐसे उन्नत साधकोंको अपने वशमें कर अनेक कलियुगी धर्म(पंथकी) संथापना कर दी, ऐसे सभी तथाकथित धर्म संसथापकोंमेंसे किसीने वेदके अस्त्तित्वको नहीं माना तो किसीने […]

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तीनों भाषाओंमें अल्प प्रमाणमें लिख पाना, मेरे श्रीगुरुकी कृपा और मेरे पिताद्वारा दिये गए संस्कारका है परिणाम –


आपने देखा होगा कि मैं हिन्दी, अङ्ग्रेज़ी और संस्कृत तीनों ही भाषामें आपसे लेख साझा करती हूं इसका मूल श्रेय मेरे माता-पिताको जाता है या यूं कहूं कि मेरे श्रीगुरुने मेरे माता-पिताके माध्यमसे मुझे मेरे भविष्यकी पूर्व तैयारी कारवाई। गुरुको अपने शिष्यकी कार्य ज्ञात होते हैं और वे उनके जीवनमें स्थूल रूपमें आनेसे पूर्व ही उनका […]

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सर्वधर्म समभावके इस मुद्देने तो इस देशको सर्वनाशके अंतिम छोरपर खडा कर दिया है ।


  अनेक व्यक्ति मुझसे कहते हैं कि यदि आप अपने विचारोंका प्रसार कम समयमें अधिक व्यापक स्तरपर करना चाहती हैं तो आप हिंदुत्त्वका प्रकरण छोड सर्वधर्म समभावका विषय लें इससे आपकी बातोंको समाज सहज स्वीकार करेगा !! मैंने कहा “सर्वधर्म समभावके इस मुद्देने तो इस देशको सर्वनाशके अंतिम छोरपर खडा कर दिया है । ऐसे […]

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संस्कृतनिष्ठ हिंदी ही हमारी राष्ट्र भाषा है !!!


हिन्दी भाषाके आलेखोंमें उर्दू और अंग्रेज़ी शब्दोंका प्रयोग क्यों नहीं करना चाहिए और लेखनी प्रभावशाली हो इस हेतु क्या प्रयास करना चाहिए ? संस्कृतनिष्ठ हिंदी ही हमारी राष्ट्र भाषा है” अतः सभी हिंदुओंने शुद्ध संस्कृतनिष्ठ हिंदी लिखने और बोलनेके प्रयास आरम्भ करने चाहिए। यदि बोलते या लिखते समय उर्दू शब्द या अंग्रेज़ी शब्द आये तो […]

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दुर्जनोंकी कुछ विशेषताएं


  १. ऐसा सोचना अपने धन और संपर्कके बलपर वे अपने सभी पापको ढक कर यहांकी न्याय व्यवस्थासे बच सकते हैं ! २. ईश्वर उनके सर्व पापोंको देख रहे हैं और उन्हें इसके लिए दंड मिलेगा इसपर उनका विश्वास नहीं होता । ३. उनके लिए स्वयं का सुख अधिक महत्व रखता है उसके लिए वे […]

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सूर्य देवतासे नियमित करें प्रार्थना !


सूर्यके प्रकाशमें हम पर आध्यात्मिक उपाय ( spiritual healing) करने की नैसर्गिक क्षमता होती है । अतः सुबहके समय थोडी देर के लिए (कम से कम आधे घंटे ) सूर्यके प्रकाश में बैठें , व्यायाम या योगासन करें और तत्पश्चात प्राणायाम करें। यह सब करते समय यह प्रार्थना बीच बीच में कम से कम ग्यारह […]

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कैकेयीने एक वरसे रामके लिए चौदह वर्षका वनवास व दूसरे वरसे भरतके लिए राज्य क्यों मांगा ?


भावार्थ : श्रवणकुमारके दादा धौम्य ऋषि थे व उसके माता-पिता रत्नावली व रत्नऋषि थे । रत्नऋषि नंदिग्रामके राजा अश्वपतिके राजपुरोहित थे । अश्वपति राजाकी कन्याका नाम कैकेयी था । रत्नऋषिने कैकेयीको सभी शास्त्र सिखाए और यह बताया कि यदि दशरथकी संतान हुई, तो वह संतान राजगद्दीपर नहीं बैठ पाएगी अथवा दशरथकी मृत्युके पश्चात् यदि चौदह […]

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दंडका विधान आवश्यक है !


फरवरी २०१३ में जब मैं दुबईके हवाई अड्डेसे एक साधकके घर जा रही थी तो देखा कि सडकपर अनेक वाहन थे; परंतु वहां कोई भोंपूकी (हॉर्नकी) ध्वनि सुनाई नहीं दे रही थी, मुझे लेने आए साधकने बताया कि उस देशमें भोंपू बजाना मना है और यदि किसी व्यक्तिको मार्गपर वाहन चला रहे किसी और चालकको […]

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आजके कालके स्त्री-पुरुषकी प्रवृत्ति


  पूर्व कालमें जब किसी आसुरी प्रवृत्तिवाली स्त्रीका चित्रण करना होता था तो खुले केश, लंबे नाखून और अल्प वस्त्रके रूपमें उसे अंकित किया जाता था। आजकी आधुनिक स्त्रियोंको इस प्रकारकी वेषभूषा अत्यधिक आकृष्ट करती है ! वैसे ही काम वासनाका प्राबल्य असुर-पुरुषका द्योतक था ! आज परस्त्रीको वासनाकी दृष्टिसे देखना यह सामान्य सी बात […]

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