साधको, रात्रिमें ग्यारह बजेके पश्चात यदि अत्यधिक आवश्यक न हो तो कृपया जागे नहीं अपितु प्रकृतिके नियम अनुरूप सो जाएं | एक साधक सदैव ही बिना कारण भी रात्रि जागरण कर प्रातः देर तक सोते हैं, मैं उनसे कबसे कह रही हूं कि कमसे कम १५ मिनिट प्रतिदिन नामजप कर, ब्यौरा भेजें; किन्तु उनसे यह […]
कुछ वर्ष पूर्व एक सन्त कह रहे थे कि आनेवाला काल ऐसा होगा कि यदि तरबूजके छिलके भी खानेको मिल जाए तो उसे अपना सौभाग्य समझें ! चीनके वुहानमें वह दिन आ चुका है ! वहांके लोग ऑनलाइन शॉपिंगद्वारा भेजे गए सडे-गले तरकारी खानेको सिद्ध हो रहे हैं | संतोंके द्रष्टापनको जानकर मन कृतज्ञ हो […]
इस प्रसंगसे मुझे दो बातें ज्ञात हुई, एक तो इस क्षेत्रमें जैविक खेतीके प्रसारकी बहुत अधिक आवश्यकता है और दूसरी बात कि आश्रम परिसरमें देशी गायोंकी गौशाला अति आवश्यक है ! ईश्वरीय कृपासे…..
एक व्यक्तिने कहा हमने फलां-फलां स्थानपर अर्पण दिया था किन्तु उन्होंने उस धनका क्या किया होगा यह मुझे पता नहीं ! त्यागके विषयमें एक सरलसा सिद्धांत ध्यान रखें यदि त्याग करनेके पश्चात भी आपको लगता है कि उस धनका क्या हुआ होगा तो वह त्याग नहीं है ! त्याग तो किया ही इसलिए […]
कल मेरी एक ज्योतिषीसे बातचीत हो रही थी, वे बहुत ही विनम्र एवं सात्त्विक थे ! उन्होंने कहा कि सन्तोंके विषयमें मेरी भविष्यवाणियां अधिकांशत: सही नहीं निकलती हैं ! मैंने कहा, “उचित कहा आपने |” सामान्य व्यक्तिका प्रारब्ध उनके क्रियामाणपर भारी पडता है वही सन्तोंका क्रियामाण उनके प्रारब्धपर भारी पडता है ! सामान्य […]
उपासनाके आश्रमका निर्माण कार्य आरम्भ होनेके पश्चात मैंने पाया कि यहां सभी श्रमिक एवं मिस्त्री वर्ग अमावस्याको छुट्टी करते हैं, जब मैंने उनसे पूछा आपलोग ऐसा क्यों करते हैं ? तो उनके पास कोई उत्तर नहीं था…..
जब कोई वास्तु सात्त्विक होती है तो क्या-क्या हो सकता है यह मुझे उपासनाके आश्रम निर्माण करते समय सीखने हेतु मिला ! हमने आश्रमके निर्माण कार्यसे पूर्व एक छोटासा ध्यान कक्षका निर्माण सर्वप्रथम किया । उसमें हमें पिछले वर्षके चैत्र माहमें….
यह गुरुकृपा ही है कि हमें उपजाऊ भूमि मिली है ! मुझे सदैवसे ही आश्रम परिसरमें चारों और हरियाली चाहिए थी और इस बातका ध्यान हमारे भगवानजीको था ! इसलिए पिछले बरसातमें हमने आपातकालमें उपयोगी……
उपासनाके आश्रमकी भूमिमें नवम्बर २०१८ से ही कुछ न कुछ हम उगा रहे हैं, जैसे अभी तक चने, मूंगफली, अरहर(तुअर), गायोंके लिए हरा चारा एवं कुछ शाक लगा चुके हैं…….
वैदिक उपासना पीठका मुख्य कार्य धर्मप्रसार करना है; अतः भूमिका चयन करते समय वह जिज्ञासु एवं साधकोंके लिए आनेमें सुगम हो इस बातका भी हमें ध्यान रखना था ! भूमिका चयन करते समय कुछ भूमि हमें बहुत सस्ते मिल रहे थे……..