हमारे घरके वास्तुको अनिष्ट शक्तियोंसे रक्षण करनेमें भी कुछ सात्त्विक पौधोंका भी बहुत अधिक महत्त्व होता है | ये पौधे दैवी तत्त्वको आकृष्ट कर हमारे घरमें सुख और समृद्धि लाते हैं ! ऐसा ही एक औषधीय गुणोंवाला दिव्य पुष्पका पौधा है अपराजिता….
आज अनेक लोगोंको आर्थिक संकट है, वे इस विषयपर समय-समयपर मुझसे पूछते हैं कि इसका निवारण कैसे करें ? ; इसलिए इस लेख शृंखलाके माध्यमसे आपको इस सम्बन्धमें कुछ तथ्य बतानेका प्रयास करेंगे, जो सम्भव हो, उनका पालन करनेका प्रयास करें, आपको ईश्वर निश्चित ही इसका शुभ परिणाम देंगे …….
बहिर्मुखी जीव कृतघ्न होता है और अंतर्मुखी जीव कृतज्ञ होता है !
मैंने अपने शोधमें पाया है कि भ्रष्ट लोगोंके बच्चे बहुत धन होनेपर भी सुखी नहीं होते हैं और अधर्मके कारण उनके धन अशुद्ध हो जाते हैं और उससे उनके बच्चोंके संस्कार खराब हो जाते हैं या उन्हें भिन्न प्रकारके कष्ट हो जाते हैं….
आज समाजके अनेक लोगोंको मध्यमसे तीव्र स्तरका मानसिक कष्ट है | इसका मूल कारण साधना और धर्माचरणके अभावके कारण बढा हुआ रज-तम ही है | इस लेख शृंखलामें इस कष्टसे सम्बन्धित कुछ दृष्टिकोण देनाका एक तुच्छसा प्रयास करने जा रही हूं……..
एक व्यक्तिने कहा कि यदि हम श्रम नहीं करेंगे तो क्या हमारे भाग्यसे धन आ जायेगा ? उत्तर बडा सरल है भाग्यमें धन हो तो श्रमकी दिशा और दशा भी योग्य होती है अन्यथा सभी श्रम करनेवाले धनवान होते !
कुछ लोगोंको सन्तोंके दिए हुए नामजप और उपायपर विश्वास नहीं होता है इसलिए उन्हें उनकेद्वारा दिए हुए जप एवं उपायसे अपेक्षित लाभ नहीं होता है ! ध्यान रहे अध्यात्ममें श्रद्धा और भावका ही सर्वाधिक महत्त्व होता है !
जितने भी इलेक्ट्रोनिक उपकरण हैं उनसे हमारे तमोगुणी लहरियोंका प्रक्षेपण होता है | रात्रिमें तो वैसे ही तमोगुणका….
बुद्धिका रूपांतरण विवेकमें होनेसे धर्म, अधर्म, पाप, पुण्य, उचित अनुचितका बोध होता है | आज अधिकांश लोगोंमें विवेकके जागृत न होनेसे वे व्यावहारिक दृष्टिसे बुद्धिमान होते हुए भी योग्य निर्णय लेनेमें असमर्थ होते हैं और अनुचित निर्णय लेनेसे उनका आध्यात्मिक पतन होता है या पापकर्म निर्माण होता है ! ध्यान रहे भारतमें ९५ % भ्रष्टाचार […]