पाश्चात्य संस्कृति की प्रत्येक देन तमोगुणी क्यों है वह अब पाश्चात्य देशों के वैज्ञानिक स्वयं बताने लगे हैं ! हमारे मनीषियों ने कुछ सोच समझकर ही नौ मीटर की साड़ी और छ: मीटर की धोती पहनने के लिए बताए थे | वस्त्र में सिलाई के टांके जितने कम लगते हैं वह वस्त्र उतना ही सात्त्विक होता है, […]
सिंथेटिक अर्थात कृत्रिम धागेसे बने पाश्चात्य संस्कृतिके वस्त्र साधना हेतु पोषक नहीं होते और नैसर्गिक धागोंसे बने भारतीय परिधान वस्त्र (जैसे स्त्रीयोंके लिए साड़ी और पुरुषोंके धोती-कुर्ता), देवताके तत्त्वको आकृष्ट करनेकी क्षमता रखते हैं, अनिष्ट शक्तिसे हमारा रक्षण करते हैं और इससे साधकके ऊपर संरक्षक-कवच बनता है |-तनुजा ठाकुर
घरमें कलह क्लेश टालें, वास्तु देवता तथास्तु कहते रहते हैं, अतः क्लेशसे कलह और बढ़ता है और धनका नाश होता है| -तनुजा ठाकुर
घरमें अतिथियोंको बुला कर मांसाहार करना, मद्य पिलाना, मोमबत्ती जलाकर देर रात ऊंचे स्वरमें पाश्चात्य संस्कृतिके गाने लगाकर नृत्य करनेसे घरसे देवताओं दूर जाते हैं और और अनिष्ट शक्ति वास करने लगती है अतः आधुनिक शैलीकी ‘पार्टी’ करनेकी अधार्मिक कृतिसे बचे !-तनुजा ठाकुर
कुछ व्यक्ति मुझसे कहते हैं कि आप पाश्चात्य संस्कृतिकी विरोधक क्यों है ? पाश्चात्य संस्कृतिकी आहार, आचरण, वस्त्र, अलंकार, विचारधारा, सभी तमोगुणी होते हैं और सबसे हास्यस्पद तथ्य यह है कि उनके विषयमें उनके ही वैज्ञानिक एवं शोधकर्ता बताते हैं है कि किस प्रकारसे उनके तमोगुणी विज्ञान एवं संस्कृतिके प्रत्येक वस्तु एवं विचार मानवके लिए […]
हिन्दू धर्म एकमात्र ऐसा धर्म है जो सत्त्व, रज और तमके सिद्धान्तको मानता है । हमारी संस्कृतिने प्रकृतिके साथ कभी खिलवाड नहीं किया । पाश्चात्य देशोंने प्रकृति प्रदत्त सभी खाद्य पदार्थोंतकसे अपनी स्वार्थसिद्धि हेतु जैविक अभियान्त्रिकीके (genetical engineering) नामपर खिलवाड किया है और कर भी रहे हैं; फलस्वरूप उस रज और तमप्रधान भोजनको खानेपर कर्करोग […]
आजका निरीश्वरवादी , अदूरदर्शी वैज्ञानिक उपलब्धियां चाहे वह आहारके संबंधमें ही क्यों न हो कितना अपूर्ण, असत्य एवं मानवके लिए अहितकारी है वह उनके ही शोधसे समझमें आता है ! आजका विज्ञान सर्वप्रथम कुछ उपलब्धि प्राप्त करता है और कुछ समय उपरांत वह मानवके लिए कितना अहितकारी यह बताता है ! ब्रेड, डिब्बा बंद आहार […]
कुछ अज्ञानी व्यक्ति समाजमें यह प्रसारित कर रहे हैं कि इस शिवरात्रि शिवको दुग्ध अभिषेक करनेके स्थानपर उस दुग्धको दरिद्र लोगोंके मध्य बांटना अधिक योग्य होगा ! ऐसे व्यक्ति सम्पूर्ण वर्ष भर ऐसे आर्थिक दृष्टिसे विपन्न व्यक्तियोंके लिए क्या करते हैं यह हम सब जनाना चाहेंगे ! सम्पूर्ण सृष्टिके सृजनकर्ताके प्रति ऐसे भाव रखनेवाले कृतघ्न […]
किसी वस्तुको काटना विध्वंसक वृत्तिका दर्शक है । फीता काटनेकी तामसी कृतिद्वारा उद्घाटन करनेसे वास्तुकी कष्टदायी स्पंदनोंपर कोई अच्छा प्रभाव नहीं पडता । जिस कृतिसे कष्टदायी तरंगोंकी निर्मिति होती है, वह हिन्दु धर्ममें त्याज्य (त्यागने योग्य) है; इसलिए फीता काटकर उद्घाटन न करें ।-तनुजा ठाकुर
पाश्चात्यीकरणके रंगमें रंगे कुछ आधुनिक भारतीयोंका मानना है कि हाथसे भोजन ग्रहण करना “table manners” के विरुद्ध है ! आइए जाने हाथसे भोजन ग्रहण क्यों करना चाहिए ? हमारे शरीरसे सर्वाधिक मात्रामें शक्तिका प्रवाह हमारे पैरोंकी अंगुलियोंसे होता है, उसके पश्चात्त हाथोंकी अंगुलियोंके पोरोंसे | हाथसे भोजन ग्रहण करते समय, अंगुलियोंसे निकलने वाली शक्ति भोजनमें […]