ईश्वर प्राप्ति हेतु जो ज्ञान और भक्ति का सटीक सदुपयोग करते हैं उन्हें मुक्तिकी अनुभूति अतिशीघ्र प्राप्त होती है । मैंने कई साधकोंको सगुण भक्तिमें अटकते देखा है क्योंकि निर्गुणके प्रवास हेतु वे ज्ञानका सदुपयोग नहीं करते और कई बुद्धिजीवी साधकोंको शब्दोंके भ्रमजालमें और बौद्धिक समीक्षामें उलझते देखा है ! इन दोनोंके संयोग वैसे तो दुर्लभ है; परंतु अपने क्रियामाण कर्मसे भी हम इस दिशामें प्रयास कर सकते हैं । जैसे जहां बुद्धिकी आवश्यकता हो वहांं बुद्धिसे अध्यात्मको समझनेका प्रयास कर उसे कृतिमें लाना चाहिए और जहां बुद्धिसे हमारी मन, और इंद्रियांं नियंत्रित नहीं होती वहांं ईश्वरीय सत्ताके प्रति शरणगात होकर आर्ततासे प्रार्थना करना चाहिए । ज्ञानसे यदि सर्वोच्च मुक्ति साध्य हो जाता तो भगवान श्रीकृष्ण उद्धव को गोपियोंके पास क्यों भेजते !-तनुजा ठाकुर
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