एक बूंंद तेल और एक बूंंद जल


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एक बूंंद तेल और एक बूंंद जल मिल नहीं सकते क्योंकि दोनोंके घटक भिन्न-भिन्न हैं, दोनोंको एक होने हेतु किसी एकने दुसरेके गुण आत्मसात कर अपने अस्तित्त्वको मिटाना चाहिए, उसी प्रकार यदि हमें परमेश्वरसे एकरूप होना है तो उनके दिव्य गुणोंको आत्मसात अपने स्वको समाप्त करना होगा, तभी पूर्णत्वकी प्राप्ति संभव है – तनुजा ठाकुर



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