कश्मीर हमारे देशका सिरमौर है, वह हमारे देशका अभिन्न अंग था, है और रहेगा ! स्वार्थान्ध और सत्तालोलुप नेताकी ‘मुस्लिम तुष्टिकरण’की नीतिके कारण ही कश्मीर ही यह दुःस्थिति हुई है । हिन्दू बहुल राष्ट्रके साथ इसप्रकारके राष्ट्रद्रोह करनेवालोंको तो ईश्वर निश्चत ही दण्डित करेंगे और वह काल भी शीघ्र ही आनेवाला है; किन्तु इस विषम परिस्थितिमें हम भारतीय जो सीमापर जाकर अपनी सेनाके लिए कुछ नहीं कर सकते हैं, वे निश्चित ही अपनी सामर्थ्य अनुसार यज्ञ, होम हवन और प्रार्थना तो कर ही सकते हैं । सभी गली-मोहल्लेमें, वसतिगृह, कॉलोनीमें, मन्दिरमें, कश्मीरमें हमारी सेनाका आतंकियोंसे रक्षण हो, उन्हें ईश्वरसे संरक्षण कवच प्राप्त हो और उन्हें आतंकियोंके समूल संहार हेतु योग्य दिशा प्राप्त हो, इस हेतु हम सब उन्हें मिलकर आध्यात्मिक बल तो दे ही सकते हैं !
इस हेतु एक सरल प्रार्थना इस प्रकार सभी हिन्दू अपने घरमें २१ बार अवश्य कर सकते हैं – “हे महाकाल, आप हमारे देशके देवभूमि कश्मीरका आतंकियोंसे रक्षण करें, उनका समूल संहार करें, हमारे सैनिक बन्धुओंका उन आतंकियोंसे रक्षण करें, उनका मनोबल बना रहे और वे इस युद्धमें सफल हों, कश्मीरमें पुन: सुख-शान्ति व्याप्त हो, ऐसी आपके श्रीचरणोंमें प्रार्थना करते हैं ! इस प्रार्थनाका हाथसे लिखकर भी अपने घरमें या अन्य कोई स्थानपर लगा सकते हैं । ”
यह प्रार्थना, कश्मीरमें आतंकियोंका समूल संहार होनेतक आप सामूहिक रूपसे मन्दिर, कार्यालय, विद्यालय, आश्रममें सभी स्थानोंपर कर सकते हैं । सामूहिक प्रार्थनाके बलको समझें, वह वैचारिक अर्थात मानसिक प्रयासोंसे अधिक महत्त्व रखता है ।
आप महाकालसे प्रार्थनाके स्थानपर अपने किसी आराध्य देवी-देवतासे भी प्रार्थना कर सकते हैं ।
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