दिसम्बर ३०, २०१८
‘फेसबुक’ने अपने लेख परिनियामकोंको (कंटेंट मॉडरेटर्सको) निर्देश दे रखे हैं कि वह भारतमें एक धर्म विशेषके विरुद्ध लेखोंको ‘फ्लैग’ करें; क्योंकि यह स्थानीय विधानका (कानूनका) उल्लंघन है । ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’के मिले लिखित-पत्रोंमें (दस्तावेजोंमें) यह उजागर हुआ है । परिनियामकोंके यह निर्देश कम्पनीकी अन्तर्राष्ट्रीय नीतिसे नहीं मिलते हैं । समाचार माध्यमोंके समक्ष भी ‘फेसबुक’ने जो कहा, यह प्रक्रिया उससे भिन्न है । देहली स्थित कार्यालयमें ‘फेसबुक’की ‘ग्लोबल पॉलिसी सॉल्यूशंस’के उप-संचालक रिचर्ड एलनने कहा था कि फेसबुक किसी धर्म या विश्वासकी आलोचनाको ‘हेट स्पीच’ नहीं मानता, बल्कि व्यक्तियोंके समूहपर आक्रमणको ‘हेट स्पीच’की श्रेणीमें रखता है ।
एलनने तब कहा था, “किसी धारणापर प्रहार करना घृणित वक्तव्य नहीं है, परन्तु आप यह नहीं कह सकते कि आप व्यक्तियोंके किसी समूहसे घृणा करते हैं ! हम इन्हीं कुछ क्षेत्रोंपर वाद-विवाद करते हैं । कुछ लोग इसे विवादित मानते हैं ।” यह विवरण फेसबुककी लेख परिनियमन दिशा निर्देशोंके (कंटेंट मॉडरेशन गाइडलाइंसके) बारेमें बताते १४०० से अधिक रहस्योद्घाटित लिखित-पत्रोंपर (लीक दस्तावेजोंपर) आधारित है । इसमें फेसबुकके भारत और पाकिस्तानमें नियमोंसे सम्बन्धित एक ‘पावरप्वॉइंट स्लाइड’ भी है ।
इसमें एक चित्रकेद्वारा लेख परिनियमनके (कंटेंट मॉडरेशनके) समय, चार श्रेणियोंको ध्यानमें रखनेको कहा गया है । इनमें ‘तार्किक रूपसे अवैध सामग्री’, ‘जब शासन सक्रिय होकर पारित करे, तब स्थानीय विधानका आदर’, ‘देशमें फेसबुकको प्रतिबन्ध किए जानेका संकट हो, या वैधानिक संकट हो’, तथा ‘फेसबुक नीतियोंका उल्लंघन न करता सामग्री’ हो।
गुप्त रूपसे हुई एक बैठकमें फेसबुक कर्मचारीने इस अन्तरको समझाते हुए एक धर्मका उदाहरण दिया था । कंपनी इस्लामके विरुद्ध लिखनेकी अनुमति देती है, परन्तु मुसलमानोंके विरुद्ध लिखनेको ‘हेट स्पीच’ माना जाएगा और वह विषय हटाना होगा । फेसबुकके ‘कम्युनिटी स्टैंडर्ड्स’के अनुसार, “हम घृणित वक्तव्यको लोगोंपर सीधे प्रहारके रूपमें परिभाषित करते हैं ।” ‘धार्मिक मान्यता’ फेसबुककी संरक्षित श्रेणियोंमेंसे एक है ।
‘फेसबुक इंडिया’के प्रतिनिधियोंने भारतसे जुडे विषयोंपर अलगसे कुछ नहीं कहा, परन्तु एक फेसबुक लेखमें विवरणका उत्तर दिया है । ‘टाइम्स’ विवरणके अनुसार, एक ‘स्लाइड’में कहा गया है कि भारतीय विधान ‘स्वतन्त्र कश्मीर’ लिखनेकी आज्ञा नहीं देता ।
फेसबुकका विवरण यह दिखाता है कि वह ऐसे विषय तीव्रतासे हटा रही है, जो उसकी दृष्टिमें ‘हेट स्पीच’ है । २०१७ की अन्तिम त्रैमासिकमें १६ लाख लेखोंकी तुलना २०१८ की तृतीय त्रैमासिकमें ३० लाख लेख हटाए गए ।
“गत वर्षोंमें ‘फेसबुक’का मनमाना आचरण सामने आया है । सनातनके पक्षमें कुछ भी लिखनेपर त्वरित पेज बन्द कर दिया जाता है और उसके पश्चात खोला भी नहीं जाता है । ऐसेमें धर्म प्रसार एक अपराध बन गया है । धर्मके आधार लेकर सत्यको दबाया जाता है ।” – सम्पादक, वैदिक उपासना पीठ
स्रोत : जनसत्ता
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