गुरु शिष्यको जो भी सेवा देते हैं वह उसकी आध्यात्मिक प्रगतिके लिए पूरक होता है


एक गुरुभक्त (जो उन्नत और शिष्य पद पर हैं ) ने कहा “मेरे गुरुने मुझे दो संस्था और एक विद्यालय का उत्तरदायित्व देकर मुझे फंसा दिया और स्वयं बैकुंठ चले गए ” |
मैंने कहा, “सद्गुरु कभी अपने शिष्य को फंसा नहीं सकते, सद्गुरु शिष्य को जो भी सेवा देते हैं वह उसकी आध्यात्मिक प्रगति के लिए पूरक होता है | सेवा ईश्वर प्राप्ति और आध्यात्मिक प्रगति का माध्यम होता है यदि हम सेवा के ध्येय पर अपना ध्यान सदैव केन्द्रित रखें तो हम कभी अटक नहीं सकते हैं | अतः सेवा के मध्य अंतर्मुख होकर तीन बातों का ध्यान सदैव रखना चाहिए
१. सेवा से आनंद की प्राप्ति हो रही है क्या ?
२. सेवा मेरी आध्यात्मिक प्रगति का माध्यम है इस बात का भान रखते हुए ईश्वरको कर्तापन अर्पण करते हुए सेवा हो रही है क्या ?
३. सेवा बिना चूक के हो रही है क्या, यदि चूक होती है तो अंतर्मुख होकर चूक के लिए उत्तरदायी दोष में सुधार कर रहे हैं क्या ?

यदि इन तीन मुद्दों को सदैव ध्यान रखेंगे तो ईश्वर/गुरु हमें सदैव सेवा के अगले अगले चरणों की ओर लेकर जाते हैं |

सद्गुरु द्वारा दी हुई आज्ञा का पालन करना ही शिष्य का मुख्य ध्येय होता है जिसे इसका भान हो वह शिष्य कभी भी अटक नहीं सकता” !-तनुजा ठाकुर



Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

सम्बन्धित लेख


विडियो

© 2021. Vedic Upasna. All rights reserved. Origin IT Solution