माता-पिताको व्यथित करनेवाले बच्चोंके विरुद्ध योगी शासनका नूतन विधान


१० दिसम्बर, २०२०

‘लव जिहाद’के विरुद्ध विधान बनानेके पश्चात उत्तर प्रदेश शासन अब वृद्ध माता-पिताकी सेवा नहीं करने और सम्पत्तिको हडपकर उनको बेदखल करनेवालोंके विरुद्ध कडे नियम बनानेकी तैयारीमें है ।
उत्तर प्रदेश विधि आयोगकी सचिव सपना त्रिपाठीका कहना है कि नियमावलीके प्रस्तावित संशोधनमें न केवल वृद्ध माता-पिताके बच्चों, वरन सम्बन्धियोंको भी जोडा गया है । पीडित माता-पिता यदि चाहें तो अपने अभियोगको पहले ‘एसडीएम’ और फिर प्राधिकरणके सामने प्रस्तुत कर सकते हैं । ‘एसडीएम’के आदेशके पश्चात बच्चोंको अपनी सम्पत्तिसे बेदखल कर सकते हैं, जो उनकी देखभाल नहीं करते या उन्हें प्रताडित करते हैं ।
उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश कानून आयोगने योगी शासनको संशोधनका प्रारूप तैयारकर पिछले दिनों ही इसकी जानकारी भेजी है । यह नियमावली २०१४ में ही बना दी गई थी । न्यायलयको निरन्तर मिल रहे परिवादसे (शिकायतसे) ज्ञात होता है कि बच्चोंद्वारा वृद्ध माता-पिताको बोझ समझकर उन्हें उनकी ही सम्पत्तिसे बेदखल कर देते हैं । यही नहीं उनसे दुर्व्यवहार भी करते हैं ।
अध्यादेशके पारित होनेके पश्चात वर्षोंसे अर्जित धनके अधिकारी माता-पिता ही होंगे । राज्य आयोगकी सचिव सपना त्रिपाठीने बताया कि शासनको प्रारूपका प्रतिवेदन ४ दिसम्बरको प्रस्तुत किया गया है ।

         ऐसे ही कठोर विधानसे आजकी निकृष्ट युवा पीढीको पाठ मिलेगा । भयसे ही सही, कमसे कम माता-पिताकी सेवा तो करेंगे ! आगामी हिन्दू राष्ट्रमें बालकोंको बचपनसे ही धर्मके संस्कार दिए जाएंगे, जिससे उन्हें सेवाका महत्त्व ज्ञात होगा !  – सम्पादक, वैदिक उपाासना पीठ

स्रोत : ऑप इंडिया



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