नारीको भोग्या समझकर उसका शोषण करनेवालोंका कुलनाश निश्चित !


अपनी वासनाको अनियन्त्रित कर, पर-स्त्रीपर उसका प्रदर्शन करनेवालेको पुरुष नहीं ‘असुर’ कहते हैं और पर-स्त्रीको मातृशक्तिके रूपमें देखने वालेको ‘पुरुष’ कहते हैं । जिन राजाओंने पर-स्त्रीको भोग्या समझ उसका शोषण किया, उनकी कीर्ति और वंशका नाश शीघ्र हुआ है, इतिहास इसका साक्षी है । वैदिक संस्कृतिमें, जिन्होंने युद्धमें पकडी गई स्त्रियोंको भी मां समान समझा, इतिहासने ऐसे वीरोंको छत्रपति एवं पुरुषोत्तमकी संज्ञासे अलंकृत किया है ।   



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