प्रेरक कथा – लक्ष्यके प्रति एकनिष्ठ रहना बहुत बडा सद्गुण है !


महाभारतका युद्ध समाप्त हुआ । सभी कौरव तो युद्धमें मारे जा चुके थे । पाण्डव भी कुछ समयतक राज्य करके हिमालयपर चले गए । वहांपर एक, एक करके सभी भाई गिर गए । अकेले युधिष्ठिर अपने एक मात्र साथी कुत्तेके साथ बचे रहे और वे स्वर्ग गए ।
कहते हैं युधिष्ठिर जीवित ही स्वर्गमें गए थे । वहां उन्होंने स्वर्ग और नरक दोनोंको देखा । स्वर्गमें प्रवेश करते ही दुर्योधन दिखाई दिया । अपने भाइयोंसे भी उनका सामना हुआ । मार्गमें अन्य भाइयोंके गिरते समय प्रश्न करनेवाले भीमके मनमें यहां भी जिज्ञासा उठी पूछा, “भैया ! दुष्ट दुर्योधन तो आजीवन अनीतिका ही पक्ष लेता रहा । उसने अपने पूरे जीवनमें कोई धर्मकार्य नहीं किया जिसके पुण्यसे उसे स्वर्ग मिला हो, तब भी वह यहां क्यों है ?”
“भीम ! ईश्वरीय विधानके अनुसार प्रत्येक पुण्यका परिणाम चाहे वह किंचित ही क्यों न हो, स्वर्ग मिलता है । सभी बुराइयोंके होते हुए भी दुर्योधनमें एक सद्गुण था, जिसके प्रसाद स्वरूप उसे स्वर्गमें स्थान प्राप्त हुआ है ।”
 भीमने पूछा, “वह क्या ?” “वह अपने संस्कारोंके कारण जीवनको योग्य दिशा भले ही न दे सका हो; परन्तु उसका मार्ग अवश्य सही था । वह अपने लक्ष्यको प्राप्त करने लिए तन्मयतापूर्वक जुटा रहा । ध्येयके प्रति एकनिष्ठ रहना बहुत बडा सद्गुण है । इस सद्गुणके पुण्यके परिणाम स्वरूप कुछ समयके लिए उसे स्वर्गमें स्थान मिलना उचित था ।” युधिष्ठिरने कहा !


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

सम्बन्धित लेख


विडियो

© 2021. Vedic Upasna. All rights reserved. Origin IT Solution