राम मन्दिर व इन्द्रप्रस्थकी वैज्ञानिक पद्धतिसे खोज करनेवाले बृजबासी लाल पद्म भूषणसे हुए सम्मानित


२७ जनवरी, २०२१
        केन्द्र शासनद्वारा जिन सात व्यक्तियोंको इस वर्ष भारतके दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषणसे अलंकृत किया गया है उनमें प्राध्यापक (प्रोफेसर) बृजबासी लालका नाम भी सम्मिलित है । उनके विषयमें सबसे महत्त्वपूर्ण तथ्य यह है कि उन्होंने ही बाबरी ढांचेके नीचे राम मन्दिरके होनेकी पुष्टि की थी । इसके पश्चात विश्वभरके वामपन्थी इतिहासकारोंने उनकी आलोचना भी की थी । उन्होंने ही पता लगाया था ‘बाबरी’के आधारके नीचे राम मन्दिर है । यही नहीं उन्होंने अनेक स्थानोंपर खुदाई करवाई जिसमें हस्तिनापुर, शिशुपालगढ, पुराना किला, कालीबंगन आदि प्रमुख हैं । बृजबासी लालजीद्वारा महाभारतमें दिए गए भूगोलको सटीक मानते उसे पुनः पुनः ऐतिहासिक रूपसे  जांचकर उसे उचित पाया । उन्होंने ही अपने अध्ययनके माध्यम से बताया कि प्राचीन कालमें अवश्य यमुना नदीकी धारा मुड गई होगी जिससे पाण्डवोंको अपनी राजधानी परिवर्तित करनी पडी थी । १९७५ में बृजबासी लालजी रामायणसे सम्बन्धित अयोध्या, भारद्वाज आश्रम, चित्रकूट आदि स्थलोंपर खुदाई करवाकर अनेक महत्त्वपूर्ण तथ्योंसे अवगत कराया था, जिसे हिन्दूधर्मके इतिहाससे पृथक कर दिया गया था । उनकी पुस्तक ‘राम उनकी ऐतिहासिकता, मन्दिर और सेतु : साहित्य, पुरातत्व और अन्य विज्ञान’में राम मन्दिरको लेकर चर्चाकी दिशा ही परिवर्तित कर दी थी । उनकेद्वारा बताए रामायण व महाभारत कालके स्थानोंको चिह्नित किया गया है तथा आज भी उनके दिखाए इन स्थानोंपर खुदाई होती है ।
     शासनद्वारा विलम्बसे उठाया गया यह पग प्रशंसनीय है । बृजबासीजीके कार्योंकी स्तुति होनी ही चाहिए थी । समस्त हिन्दू केन्द्रके इस निर्णयपर आभार व्यक्त करते हैं । – सम्पादक, वैदिक उपाासना पीठ 

स्रोत : ऑप इंडिया



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