वर्तमान कालमें भारतीयोंकी मानसिकता इतनी निकृष्ट हो चुकी है कि इस राष्ट्रीय आपदाके घोर संकटकालमें भी अनेक लोग अपनी स्वार्थसिद्धिमें लगे हुए हैं । कहीं पुलिस व्यापरियोंके भण्डार (दूकान) खोलनेपर उत्कोच (घूस) मांग रही है, तो कहीं लोग ‘मास्क’की ‘कालाबाजारी’ कर रहे हैं तो कहीं छद्म (नकली) किटाणुनाशक (sanitiser) बनाकर उसे बेचा जा रहा है । तो कुछ मूर्ख लोग विदेशसे आनेपर, उनके हाथपर जो चिह्न लगाया गया था, उसे रसायनसे मिटाकर सबसे घुलमिलकर रह रहे हैं । और कितना नीचे गिरेंगे हम !
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