संस्कृतके स्थानपर ‘उर्दू’ पढाओ, अन्यथा लगा देंगे ताला : राजस्थानके शासकीय विद्यालयको भयदर्शन


२३ जुलाई, २०२२
        सामाजिक जालस्थलपर एक ‘वीडियो’ शीघ्रतासे ‘वायरल’ हो रहा है । यह ‘वीडियो’ राजस्थानके बूंदी जनपदका बताया जा रहा है । ‘वीडियो’में कुछ लोगोंको विद्यालयमें तृतीय भाषाके रूपमें ‘उर्दू’ सम्मिलित करनेको लेकर प्रधानाचार्यको ‘धमकाते’ हुए देखा जा सकता है । सम्मिलित न करने करनेपर विद्यालयमें ताला लगानेका भय दिखाते है । प्रकरण बूंदी जनपदके अलोद गांव स्थित महात्मा गांधी राजकीय विद्यालय आंग्ल (अंग्रेजी) माध्यमका बताया जा रहा है ।
      उक्त घटना गुरुवार, २१ जुलाई २०२२ की है । प्रकरणपर विद्यालयकी प्रधानाचार्यने बताया कि विद्यालयकी ओरसे इस विषयमें अभीतक परिवाद प्रविष्ट नहीं हुआ है । उनका कहना है कि ‘वीडियो वायरल’ होनेके पश्चात ‘पुलिस’ उन्हें दूरभाष कर रही है और सम्भवतः वह स्वतः संज्ञान भी ले रहे है । प्रधानाचार्यने कहा कि उन्होंने ‘पुलिस’में परिवाद इसलिए प्रविष्ट नहीं करवाया; क्योंकि उसके पश्चात उनको भी कुछ घटना होनेकी आशंङ्का रहती ।
      वह कहती हैं कि उन्हें अभी इसी गांवमें चाकरी करनी है तो वह इन सब ‘झंझट’में नहीं पडना चाहती । उन्होंने कहा कि भयदर्शन देनेवालोंकी भाषा इतनी निम्नस्तरीय थी कि वह किसीकी बात नहीं सुनना चाहते थे, मात्र अपनी बात कहकर चले गए ।
        कांग्रेस शासित राज्योंमें भारतका विधान नहीं; अपितु जिहादियोंका विधान अर्थात शरियाके अनुसार राज चलता है । कांग्रेसकी इसी तुष्टीकरणकी नीतिने देशको पुनः विभाजनकी सीमापर खडा कर दिया है । क्या कांग्रेसका राजस्थान शासन एवं कांग्रेसका केन्द्रीय नेतृत्व इन घटनाओंपर कुछ बोलेगा ? – सम्पादक, वैदिक उपाासना पीठ
 
 
स्रोत : ऑप इंडिया


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