शास्त्र वचन


अजानता भवेत् कश्चिदअपराधः कृतो यदि ।

क्षन्तव्यमेव  तस्याहुः  सुपरीक्ष्य  परीक्षया ॥

अर्थ : विद्वान प्रह्लादजी पौत्र बलिसे क्षमाके विषयमें  वर्णन करते हुए कहते हैं : भलीभांति परीक्षण करनेपर       यदि यह सिद्ध हो जाए कि अमुक अपराध अज्ञानतामें   ही हो गया है; तो उसे क्षमाके ही योग्य बताया   गया है ।



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