फगवाडाके व्यापारीको राधे मांने दी थी चेतावनी, ध्वनि मुद्रणके प्रतिरूपमें सामंजस्य !


दिसम्बर १९, २०१८

पंजाब पुलिसने राधे मांके (सुखविन्दर कौर) विरुद्ध भयादोहन (ब्लैकमेलिंग), धार्मिक भावनाएं भडकाने और धमकानेकी परिवादकी जांचके लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित की है । इसी मध्य उच्च न्यायालयमें पुलिसने बताया कि फगवाडाके व्यापारीको चेतावनी देने वाली आवाज राधे मांकी ही है ! जांचमें उनकी आवाज मिल गई है ।

कपूरथलाके एसएसपी सतिन्दर सिंहने उच्च न्यायालयमें बताया कि सुखविन्दर कौरके विरुद्ध आई परिवादकी जांचके लिए दो सदस्यीय एसआईटी गठित की गई है, जिसमें एसपी इन्वेस्टिगेशन सतनाम सिंह और एएसपी संदीप मलिक सम्मिलित हैं । जांच दल एक माहके भीतर जांचका विवरण न्यायालयको सौंप देगा ।

इससे पूर्व कपूरथलाके पूर्व एसएसपी संदीप शर्माने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालयको इस प्रकरणमें झूठी जानकारी दी थी । जिसके कारण पंजाब पुलिसकी खूब किरकिरी हुई थी । न्यायालयने इस प्रकरणमें पंजाब पुलिसके डीजीपी सुरेश अरोडाको जांच करनेके आदेश दिए हैं ।

पुलिस सूत्रोंके अनुसार परिवादकर्ता सुरेन्द्र मित्तलने पुलिसको सुखविंदर कौरका चलभाष ध्वनि मुद्रण (काल रिकॉर्डिंग) सौंपा था, जो राधे मांके जगरातोंसे लिए गए ध्वनिसे मिल गए हैं ! केन्द्रीय जांच प्रयोगशालाने इसका विवरण पुलिसको सौंप दिया है ।

आरोप है कि पंजाब पुलिसने राधे मांके विरुद्ध आई परिवादको दबानेका प्रयास किया था । परिवादकर्ता फगवाडा निवासी सुरेन्द्र मित्तलने पुलिसपर अपनी परिवादको दबानेके आरोप लगाए हैं । पुलिसने जब उसकी परिवादके आधारपर राधे मांके विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं की तो वे उच्च न्यायालय गए ।

सुरेन्द्र मित्तलने अपनी याचिकामें कहा था कि राधे मां उसे याचिका वापस लेनेके लिए चेतावनी दे रही है । उनका आरोप है कि सुखविंदर कौर स्वयंको दुर्गा मांका अवतार बताकर त्रिशूल धारण करती है, जिससे उसकी धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं । उन्होंने राधे मांके जागरणका विरोध किया तो वह उनको चलभाषपर चेतावनी देने लगी ।

 


“ढोंगी होनेका भी एक स्तर माना जाता है, कमसे कम वह बोलता समझता अच्छेसे है, परन्तु जिसमें न विवेक है, न ज्ञानका अंश और जो स्वयंको दुर्गा बताते हुए हाथमें त्रिशूल धारण करती हैं, ऐसे लोगोंको हिन्दू आडम्बर फैलाते हुए देख सकते हैं, इससे ज्ञात होता है कि हममें धर्माभिमान नहीं है ! और अति तब होती है जब ऐसे लोगोंको महामण्डलेश्वरके पदपर बैठा दिया जाता है !! इससे ज्ञात होता है कि पाप धर्मके मूलतक पहुंच गया है और उसका पुनरुत्थान अत्यावश्यक है !”- सम्पादक, वैदिक उपासना पीठ

 

स्रोत : आजतक



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