‘संघियोंके शीशसे रक्त निकलना चाहिए’ – विजयसे उन्मत हुए तृणमूलके ‘गुण्डे’ 


०३ मई, २०२१
 पश्चिम बंगालमें रविवार २ मई २०२१को तृणमूल कांग्रेसके विजयके समाचार आने प्रारम्भ होते ही तृणमूलके कार्यकर्ता तथा कट्टरपन्थियोंने भाजपा समर्थकोंको हत्याकी धमकी देना प्रारम्भ कर दिया ।
 इन लोगोंने ‘ट्वीटर’पर विषवमन प्रारम्भ कर दिया । जुल्फिकार अलीने लिखा कि पश्चिम बंगालने स्वयंको संघी ‘वायरस’ निरोधक टीका लगाया ।
 कुछ ‘ट्वीट्स’में संघियोंके विरुद्ध अपशब्दोंका प्रयोग भी किया गया । तृणमूल समर्थक संघियोंको हत्या, हिंसा तथा गम्भीर शारीरिक चोट पहुंचानेकी धमकी देते दृष्टिगत हुए । फहमी रियाजने तो लिखा कि इनके शीशसे रक्त निकलना चाहिए । तो किसीने चाकू हाथमें लिए व्यक्तिका छायाचित्र साझा करके भाजपा कार्यकर्ताओंको निर्दयतापूर्वक चाकुओंसे गोदनेकी धमकी दी ।
एक कट्टरपन्थीने लिखा कि देखो हम ३० करोड होकर भी विजयी हुए, तुम १०० करोड होकर भी असहाय हो ।
 सन्ध्याको बंगालके एक स्थानपर भाजपा कार्यालय जलानेके दृश्यपट देखे गए । आसनसोलमें कोरोनाके नियमोंकी अवहेलना करते तृणमूलके कार्यकर्ता पुलिसके समक्ष ही विजयी ‘जुलूस’ निकालते हुए पुलिसवालोंके निकट ही पटाखे फोडते देखे गए ।
      यह सत्य है कि १०० कोटि होते हुए भी हिन्दुओंमें एकताका अभाव है । वे ३० कोटि होते हुए भी एक हैं । सभी मुसलमानोंने एकजुट होकर तृणमूलके पक्षमें मतदान किया । इसीलिए तृणमूल विजयी हुई तथा कांग्रेस, कम्युनिस्ट तथा ओवैसीके पक्षको एक भी स्थान प्राप्त नहीं हो सका । हिन्दुओंमें एकता होती, तो भाजपाकी पराजय असम्भव थी । धर्मके प्रति निष्ठा न रखनेवाले अनेक मूढ हिन्दू तृणमूलके पक्षमें मतदान कर आए । अब वहांके गांवोंमें हिन्दूका जीवन दूभर होगा । इससे पूर्व भी लगभग अनेक भाजपा कार्यकर्ताओंकी निर्मम हत्या हो चुकी है । पञ्चायत चुनावोंमें भी अनेक हिन्दुओंकी हत्याएं हो चुकी है । अनेक रोहिंग्याओंको परिचयपत्रतक प्राप्त करवाकर वहांके निवासी घोषित करवा दिया गया है । हिन्दुओंने एकता न दर्शाकर अपने ही पांवपर कुल्हाडीसे वार कर लिया है । अब वहां गांवोंमें हिन्दुओंका जीवन सङ्कटमय होगा । – सम्पादक, वैदिक उपाासना पीठ
 
 
स्रोत : ऑप इंडिया


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