उलेमा बोर्डने कहा, चलचित्र ‘राम जन्मभूमि’पर लगाएं प्रतिबन्ध, नहीं करेंगें शरियतसे छेडछाड !


मार्च १९, २०१९

‘ऑल इंडिया उलेमा बोर्ड’की मध्यप्रदेश इकाईने चलचित्र ‘राम जन्मभूमि’पर मंगलवार, १९ मार्चको दो फतवे जारी करनेके साथ-साथ केन्द्र एवं मध्य प्रदेश शासनसे मंगलवारको मांग की कि वे इस चलचित्रपर प्रतिबन्ध लगाएं । एक फतवा इस चलचित्रकी मुस्लिम अभिनेत्री नाजनीन पाटनीके विरुद्घ जारीकर उसे परामर्श दिया है कि वह अपने धर्मको स्वीकार करे, जबकि दूसरे फतवेमें देशके मुस्लिम समुदायसे विनती की गई है कि वह इस चलचित्रको देखनेसे परहेज करें । ये दोनों फतवे मंगलवारको ‘आल इंडिया उलेमा बोर्ड’के मध्यप्रदेश अध्यक्ष एवं काजी सय्यद अनस अली नदवीने जारी किए ।

‘उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड’के अध्यक्ष सैय्यद वसीम रिजवीद्वारा निर्मित यह चलचित्र २९ मार्चको समूचे देशमें प्रदर्शित होनेवाली है । ‘आल इंडिया उलेमा बोर्ड’, मध्य प्रदेशके उपाध्यक्ष नूर उल्लाह यूसुफ जईने  संवाददाताओंको बताया, ‘‘चलचात्र ‘राम जन्मभूमि’ न केवल विवादित है, वरन दो समुदायोंके मध्य घृणा उत्पन्न करनेवाली है । इस चलचित्रमें शरीयतके साथ खिलवाड किया गया है । इस्लामके दो महत्त्वपूर्ण प्रकरणको विवादित करनेक प्रयास किया गया है ।’’

उन्होंने कहा, ‘‘इस चलचित्रमें तीन तलाकको अनुचित ढंगसे प्रस्तुत किया गया है । इसके अतिरिक्त, इसमें बताया गया है कि एक ससुर बहूके साथ हलाला करता है । यह अनुचित है । समूचे विश्वमें इसका उदाहरण नहीं मिलता है । इसने मुस्लिम समुदायकी भावनाओंको चोट पहुंचाई है ।’’

जईने बताया, ‘‘समिति यह सहन नहीं करेगी कि शरीयतसे कोई छेडछाड करे !’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम मध्य प्रदेश शासन एवं केन्द्र शासनसे मांग करते हैं कि चलचित्र ‘राम जन्मभूमि’के प्रदर्शनपर ४८ घंटेके भीतर प्रतिबन्ध लगाया जाए ।’’ उन्होंने कहा कि यदि ४८ घंटेके भीतर इस चलचित्रके प्रदर्शनपर प्रतिबन्ध नहीं लगाया गया, तो हम न्यायालयका द्वार खटखटांगे ।

“वसीम रिजवीजी एक सम्माननीय और विवेकशील व्यक्ति है, जो यह मानते है कि मुसलमानोंका राममन्दिर भूमिपर कोई अधिकार नहीं है और यह बाबरके कुकृत्योंके कारण वहां बाबरी मस्जिदका निर्माण किया गया । चलचित्रमें भी वही सत्य बताया जा रहा है; परन्तु धर्मान्धोंको वह सत्य सहन नहीं होगा और इसके धर्मविरुद्ध बताकर सत्य उजागर होनेसे रोकेंगें । यदि सत्य इतना ही कटु है तो इसे स्वीकार करना सीखे और सुधार लानेका प्रयास करना चाहिए; परन्तु धर्मान्धोंको भय है कि यदि उनकी विषकारी मानसिकता उजागर हो जाएगी तो भाईचारेका नाटक भी समाप्त हो जाएगा और जईको यह बताना चाहेंगें कि यह रामकी भूमि है तो यहां शरियतका कोई आधार नहीं है । यदि शरियत मानना है तो विश्वके अनेक देश रिक्त हैं, कृपया वहां प्रस्थान करें !”- सम्पादक, वैदिक उपासना पीठ



स्रोत : लाइव हिन्दुस्तान



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