गौमांसभक्षी काटजूका पुनः सनातनके प्रति विषवमन, राम कोई भगवान नहीं, गायको माता कहनेवालोंकी बुद्धिमें भरा है गोबर !
उच्चतम न्यायालयके पूर्व न्यायाधीश मार्कण्डेय काटजूका कहना है कि राम कोई भगवान नहीं थे, वे साधारण व्यक्ति थे । इसके साथ ही उन्होंने गायको माता कहनेपर भी आपत्ति प्रकट की । उनका कहना था कि एक पशु किसी मानवकी मां कैसे हो सकती है ? (वैज्ञानिकोंने भी माना है कि मांके दूधके पश्चात गायका दूध ही नवजात शिशुके लिए सबसे पोषक आहार है, कहीं ये भी बकरीके दूध तो नहीं पीते आए हैं ! )
उत्तराखण्डकी राजधानी देहरादूनमें आयोजित एक कार्यक्रममें भाग लेने आए मार्कण्डेय काटजूने कहा कि राम भगवान नहीं, वरन एक साधारण व्यक्ति थे । वाल्मीकिद्वारा रचित मूल संस्कृत रामायणमें उन्हें वैसा ही बताया गया है । (क्या इन्हें संस्कृत आती है ?, यह पूछना चाहिए या अपने जैसे किसी भ्रष्ट बुद्धिजीवीद्वारा भाषान्तरित रामायण उन्होंने पढी है ।) वहीं गायको माता कहे जानेपर आपत्ति प्रकट करते हुए काटजूने कहा कि गाय भी घोडे और कुत्तेकी भांति एक पशु है । ऐसेमें जो लोग गायको माता कहते हैं, उनके बुद्धिमें गोबर भरा है ! (काटजूजी, किसकी बुद्धिमें गोबर भरा है ?, यह तो अब सबको समझमें आने लगा है !)
काटजूने कहा कि ये सब आगामी लोकसभा मतदानमें वोट पानेके लिए राजनीति की जा रही है । आप संस्कृतमें वाल्मीकि रामायण उठाइए, उसमें कहीं नहीं है कि राम भगवान हैं ! (तभी तो उनके भक्त हनुमानजी एक ही छलांगमें सागर लांघ गए ! यदि वे आप जैसे ही थे तो आप भी अपने किसी भक्तको सागर लांघने हेतु बोलें ! आपको समझमें आ जाएगा कि प्रभु राम कौन थे और आप कौन हैं ?)
भारतीय संस्कृतिमें किसी भी स्त्री शक्तिको मां या भगिनीके रूपमें ही देखा जाता है एवं यदि वह स्त्री शक्ति कल्याणकारी हो तो उसे ‘मां’ ही कहा जाता है, जैसे गंगा आदि देव नदियां । काटजूजी, भारतमें आज भी बालक गौदुग्ध पीकर ही बडा होता है ! उस दुग्धके मक्खन व घीसे ही बलशाली बनता है । उसके गोमय और गोमूत्रकी असीम शक्तिको आज विज्ञान भी मानता है तो कृतज्ञता व्यक्त करनेके लिए उसे मां नहीं तो क्या कहेंगे ? धर्म अधिष्ठित सर्व मर्यादाओंका पालनकर, उस कालके समस्त असुरोंका संहारकर, धराका भार उतारनेवाले धनुषधारी श्रीरामको भगवान नहीं तो क्या कहेंगे ? आप जैसे विज्ञानहीन, तर्कहीन, धर्मद्रोही व्यक्ति तकको समस्तजन ‘उच्चतम न्यायालयके पूर्व न्यायाधीश काटजू’ कहते हैं तो समस्त गुणोंकी खान गायको ‘मां’ और आदर्श राज्यकी स्थापनाकर, समाजमें सभी आदर्शोंको स्थापित करनेवाले राजा रामको भगवान नहीं तो क्या कहेंगे ?! यदि रामजीकी साधना करते और गो दुग्ध प्राशन करते तो आपसे ऐसा धर्मद्रोही वक्तव्य नहीं होता ! – तनुजा ठाकुर
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