मार्च ५, २०१९
महाशिवरात्रिपर पुलिस चौकीके समीप ब्रह्मदेव महाराज धर्मस्थलपर शिवरात्रिपर हो रहे धार्मिक कार्यक्रम व प्रसाद वितरणको धर्मान्धोंने रुकवा दिया । टेंट उखाडकर फेंकनेसे तनाव हो गया । सूचनापर कई भाजपा और व्यापारी नेता पहुंच गए । उन्होंने हंगामा किया तो भारी पुलिस बल आ गया । चौकीमें पंचायत हुई तो धीमी ध्वनिमें ध्वनिप्रसारक यन्त्र बजानेके अनुबन्धपर (शर्तपर) पूजन जारी रखनेकी सन्धि हो गई और उपद्रव टल गया ।
उपमण्डलमें पुलिस चौकीके बगलमें ब्रह्मदेव स्थलपर भगवान शिवकी प्राचीन प्रतिमा है । महाशिवरात्रिपर प्रत्येक वर्ष पूजन कार्यक्रम होता है । सोमवार, ४ मार्चको अखिल भारतीय हिंदू महासभाके जिलाध्यक्ष सूरज राठौर और उनके मित्र अंकित शर्मा आदिने प्रातःकाल मंदिरपर टेंट लगाकर भजन और प्रसाद वितरण आरम्भ किया था । धर्मस्थलके पीछे ‘आयत ट्रेडर्स’के स्वामी कय्यूम सेठके पुत्र वसीम आदिने दुकानके सामने पूरा स्थान घेरकर हल्ला करनेका आरोप लगाते हुए आयोजकोंसे टेंट हटानेको कहा । प्राचीन परम्परा बताते हुए टेंट हटानेसे मना किया तो वसीमने स्वयं ही टेंट उखाड दिया !!
ब्रह्मदेव स्थलपर सैकडोंकी संख्यामें लोग एकत्र होने लगे । आयोजकोंकी सूचनापर युवा भाजपा नेता/उप्र प्रांतीय उद्योग व्यापार समितिके नगर अध्यक्ष आशीष अग्रवाल, भाजपा मंडल अध्यक्ष अजय सक्सेना, सुचित अग्रवाल, सत्यप्रकाश अग्रवाल सहित सभी भाजपाई, व्यापारी नेता वहांपर पहुंच गए । थाना प्रभारी राजकुमार तिवारी भी तुरंत बलके साथ आ गए और भीडको समझाकर शांत करानेका प्रयास किया । थाना प्रभारीने दोनों पक्षोंको पुलिस चौकीपर बुलवाया । भाजपा नेताओंकी उपस्थितिमें निर्धारित हुआ कि ध्वनिप्रसारक यन्त्र धीमी आवाजमें बजाकर दोपहर दो बजेतक पूजन, भजन-कीर्तन, प्रसाद वितरणका अनुष्ठान होगा । कोई विवाद नहीं किया जाएगा ।
“धार्मिक आयोजनोंपर ध्वनिप्रसारक यन्त्रको तीव्र ध्वनिमें बजाना अशास्त्रीय विधान है, सभी हिन्दुओंने यह ध्यान रखना चाहिए । तीव्र ध्वनिसे केवल शोर होता है और देव शक्तियां वहां उपस्थित नहीं रहती है । कर्णकर्कश यन्त्रोंके स्थानपर ढोल आदिका प्रयोग उचित है; परन्तु विचात्र यह है कि धर्मान्ध वसीमको शिवरात्रिका आयोजन शोर लग रहा है और मस्जिदकी प्रातःकाल ४ बजेसे लेकर ५ समयकी अजान भाती है, यह तो धर्मान्धता और इस्लामिक विषका प्रतीक है ! वस्तुतः वसीम यह करता है, इसलिए नहीं कि उसे शोर पसन्द नहीं, वह तो यह इसलिए करता है; क्योंकि काफिरोंका कोई भी कृत्य उसे पसन्द नहीं है ।”- सम्पादक, वैदिक उपासना पीठ
स्रोत : अमर उजाला
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