देवस्तुति

देव स्तुति


सर्वाज्ञाननिहन्तारं  सर्वज्ञानकरं शुचिम् । सत्यज्ञानमयं सत्यं मयूरेशं नमाम्यहम् ॥ अर्थ : जो समस्त वस्तुविषयक अज्ञानके निवारक, सम्पूर्ण ज्ञानके उद्घावक, पवित्र, सत्य-ज्ञानस्वरूप तथा सत्यनामधारी हैं, उन मयूरेश गणेशको मैं प्रणाम करता हूं ।

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महाद्रिपार्श्वे च तटे रमन्तं सम्पूज्यमानं सततं मुनीन्द्रैः । सुरासुरैर्यक्षमहोरगाद्यै: केदारमीशं शिवमेकमीडे ॥ अर्थ : जो भगवान शंकर पर्वतराज हिमालयके समीप मन्दाकिनीके तटपर स्थित केदारखंड नामक शृंगमें निवास करते हैं तथा मुनीश्वरोंके द्वारा सदा पूजित हैं, देवता-असुर, यक्ष-किन्नर व नाग आदि भी जिनकी सदा पूजा किया करते हैं, उन्हीं अद्वितीय कल्याणकारी केदारनाथ नामक शिवकी मैं स्तुति […]

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नमः  पूर्वाय  गिरये  पश्चिमायाद्रये   नमः । ज्योतिर्गणानां पतये दिनाधिपतये नमः ॥ अर्थ : पूर्वगिरी उदयाचल तथा पश्चिमगिरि अस्ताचलके रूपमें आपको नमस्कार है । ज्योतिर्गणोंके (ग्रहों और तारोंके) स्वामी तथा दिनके अधिपति आपको प्रणाम है ।

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समस्तदोषशोषणं समस्तलोकपोषणं । समस्तगोपमानसं नमामि नन्दलालसम् ॥ अर्थ : समस्त दोषोंको दूर करनेवाले, समस्त लोकोंका पालन करनेवाले और समस्त ब्रजगोपोंके हृदय तथा नन्दजीकी वात्सल्य लालसाके आधार श्रीकृष्णचन्द्रको नमस्कार करता हूं ।

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भुवो भरावतारकं भवाब्धिकर्णधारकं । यशोमतीकिशोरकं नमामि चित्तचोरकम् ॥ अर्थ : भूमिका भार उतारनेवाले, भवसागरसे तारनेवाले कर्णधार श्रीयशोदाकिशोर चित्तचोरको, मेरा नमस्कार है ।

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सर्वशक्तिमयं देवं सर्वरूपधरं विभुम् । सर्वविद्याप्रवक्तारं मयूरेशं नमाम्यहम् ॥ अर्थ : जो सर्वशक्तिमय, सर्वरूपधारी, सर्वव्यापक और सम्पूर्ण विद्याओंके प्रवक्ता हैं, उन भगवान मयूरेश गणेशको मैं प्रणाम करता हूं ।

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नमोस्तु नालीक निभाननायै नमोस्तु दुग्धौदधि जन्म भूत्यै । नमोस्तु सोमामृत सोदरायै नमोस्तु नारायण वल्लभायै  ॥   अर्थ : कमलवदना कमलाको नमस्कार है । क्षीरसिन्धु सभ्यता श्रीदेवीको नमस्कार है । चन्द्रमा और सुधाकी बहनको नमस्कार है । भगवान नारायणकी वल्लभाको नमस्कार है ।

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सदैव पादपंकजं मदीय मानसे निजं । दधानमुक्तमालकं नमामि नन्दबालकम् ॥ अर्थ : जिन्होंने मेरे मनरूपी सरोवरमें अपने चरणकमलोंको स्थापित कर रखा है, उन अति सुन्दर पलकोंवाले नन्दकुमारको नमस्कार करता हूं ।

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तं सूर्यं जगतां नाथं ज्ञानविज्ञानमोक्षदम् । महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥ अर्थ : उन सूर्यदेवको, जो जगतके नायक हैं, ज्ञान, विज्ञान तथा मोक्षको भी देते हैं, साथ ही जो बडे-बडे पापोंको भी हर लेते हैं, मैं प्रणाम करता हूं ।

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तं सूर्यं जगत्कर्तारं महातेज:प्रदीपनम् । महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥ अर्थ : महान तेजके प्रकाशक, जगतके कर्ता, महापापहारी उन सूर्य भगवानको मैं नमस्कार करता हूं ।

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