नमस्ये सर्वलोकानां जननीमब्जसम्भवाम् । श्रियमुन्निद्रपद्माक्षीं विष्णुवक्षःस्थलस्थिताम् ॥ अर्थ : सम्पूर्ण लोकोंकी जननी, विकसित कमलके सदृश नेत्रोंवाली, भगवान विष्णुके हृदयमें विराजमान कमलोद्भवा, श्रीलक्ष्मी देवीको मैं नमस्कार करता हूं ।
नमामि देवं सकलार्थदं तं सुवर्णवर्णं भुजगोपवीतम्ं । गजाननं भास्करमेकदन्तं लम्बोदरं वारिभावसनं च ॥ अर्थ : मैं उन भगवान गजाननकी वन्दना करता हूं, जो समस्त कामनाओंको पूर्ण करनेवाले हैं, सुवर्ण तथा सूर्यके समान देदीप्यमान कान्तिसे चमक रहे हैं, सर्पका यज्ञोपवीत धारण करते हैं, एकदन्त हैं, लम्बोदर हैं तथा कमलके आसनपर विराजमान हैं ।
गजवक्त्रं सुरश्रेष्ठं कर्णचामरभूषितम् । पाशाङ्कुशधरं देवं वन्देऽहं गणनायकम् ॥ अर्थ : हाथीके मुखवाले देवताओंमें श्रेष्ठ, कर्णरूपी चामरोंसे विभूषित तथा पाश एवं अंकुशको धारण करनेवाले भगवान श्रीगणनायक गणेशकी मैं वन्दना करता हूं ।
जय भगवति देवि नमो वरदे जय पापविनाशिनी बहुफलदे । जय शुम्भनिशुम्भकपालधरे प्रणमामि तु देवि नरार्तिहरे ।।१।। अर्थ : हे वरदायिनी देवी, हे भगवति, तुम्हारी जय हो ! हे पापोंको नाश करनेवाली और अनन्त फलोंको प्रदान करनेवाली देवी, तुम्हारी जय हो ! हे शुम्भ-निशुम्भके मुण्डोंको धारण करनेवाली देवी, तुम्हारी जय हो ! हे मनुष्योंकी पीडा हरनेवाली […]
सौम्या सौम्यतराह्शेष सौम्येभ्यस त्वतिसुन्दरी । परापराणां परमा त्वमेव परमेश्वरी ॥ अर्थ तुम सौम्य और सौम्यतर हो । इतना ही नहीं, जितने भी सौम्य और सुन्दर पदार्थ हैं, उन सबकी अपेक्षा तुम अधिक सुन्दर हो । परा और अपरा, सबसे पृथक रहनेवाली परमेश्वरी तुम्हीं हो ।
३१. गुडाकेश : निद्राको जीतनेवाले ३२. हृषिकेश : इन्द्रियोंको जीतनेवाले ३३. सारथी : अर्जुनका रथ चलनेके कारण ३४. पूर्ण परब्रह्म : अखिल ब्रह्माण्डके स्वामी ३५. देवेश : देवोंके ईश (स्वामी) ३६. नाग नथिया : कलिया नागको नथनेवाला ३७. यदुपति : यादवोंके स्वामी ३८. यदुवंशी : यदु वंशमें अवतार धारण करनेके कारण ३९. सारथी : अर्जुनका […]
२१. मदन : सुन्दर २२. मनोहर : मनका हरण करनेवाले २३. मोहन : सम्मोहित करनेवाले २४. जगदीश : जगतके स्वामी २५. पालनहार : सबका पालन-पोषण करनेवाले २६. कंसारी : कंसके शत्रु २७. रुक्मिणी वल्लभ: रुक्मणीके पति २८. केशव : केशी नाम दैत्यको मारनेवाले या पानीके ऊपर निवास करनेवाले या जिनके केश सुंदर हों २९. वासुदेव […]
११. चक्रधारी : जिसने सुदर्शन चक्र या ज्ञान चक्र या शक्ति चक्रको धारण किया हो १२. श्याम : सांवले रंगवाला १३. माधव : मायाके पति १४. मुरारी : मुर नामक दैत्यके शत्रु १५. असुरारी : असुरोंके शत्रु १६. बनवारी : वनोंमें विहार करनेवाले १७. मुकुंद : जिनके पास निधियां हो १८. योगीश्वर : योगियोंके ईश्वर […]
१. कृष्ण : सबको अपनी ओर आकर्षित करनेवाला २. गिरिधर : गिरि अर्थात पर्वत, धर अर्थात धारण करनेवाला अर्थात गोवर्धन पर्वतको उठानेवाले ३. मुरलीधर : मुरलीको धारण करनेवाले ४. पीताम्बरधारी : पीत अर्थात पिला, अम्बर: अर्थात वस्त्र, पीले वस्त्रोंको धारण करनेवाले ५. मधुसूदन : […]
न वासुदेवभक्तानामशुभं विद्यते क्वचित् । जन्ममृत्युजराव्याधिभयं नैवोपजायते ।। अर्थ : वासुदेवके भक्तोंका अशुभ कदापि नहीं होता; उनमें जन्म, जरा, व्याधि, भय एवं मृत्यु आदि दोष कदापि सम्भव नहीं होते ।