प्रेरक प्रसंग

प्रेरक कथा – आश्रय


एक शिष्यने गुरुसे पूछा – ‘गुरुदेव ! आप सदैव कहते हैं कि हमें एक क्षणके लिए भी प्रभुकी ओरसे ध्यान नहीं हटाना चाहिए । किंतु यह कैसे संभव है ? मायाका इतना मोहक स्वरूप तो सभीको उलझा कर रखता है और वैसे भी जिसे मोक्ष मिलना है,  उसे किसी भी समय मिल सकता है ।’  […]

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प्रेरक कथा – संसार बुरा या भला ?


एक गुरु थे । उनके दो शिष्य थे । एक दिन गुरु शिष्योंकी परीक्षा लेना चाहते थे । उन्होंने एक शिष्यको बुलाकर पूछा, “बताओ, जगत कैसा है ? तुम्हें कैसा लग रहा है ?”  उसने कहा, “बहुत बुरा है । सर्वत्र अंधकार ही अंधकार है । आप देखें,  दिवस एक होता है और दो रात्रियां […]

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साधना मार्गमें कष्ट


साधना ईश्वर तक पहुंचनेका मार्ग है । किसीको यह मार्ग कष्टोंसे भरा प्रतीत होता है और कोई इन्ही कष्टोंमें आनंदका अन्वेषण कर लेता है । कष्टोंको आनंदमें परिवर्तित करनेकी एकमात्र युक्ति है, कष्टोंको सहन करना सीख लेना । यह प्रसंग इसी विषयकी पुष्टि करता है । एक रात एक मूर्तिकारने एक विचित्र स्वप्न देखा । […]

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धर्मयुद्धमें कूटनीति आवश्यक


यदि शत्रु धूर्ततापर उतर आए तो धर्मयुद्धमें कूटनीति आवश्यक होती है ! पढें, इस संबंधमें एक प्रेरक कथा – एक कथा अनुसार भगवान श्रीरामकी भक्ति और हनुमानकी कूटनीतिने किया रावणका सर्वनाश ! लंका-युद्धमें ब्रह्माजीने श्रीरामसे रावण वधके लिए चंडी देवीका पूजन कर देवीको प्रसन्न करनेको कहा और बताए अनुसार चंडी पूजन और हवन हेतु दुर्लभ […]

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प्रेरक कथा – क्रोध


आदि शंकराचार्य और मंडन मिश्र के मध्य सोलह दिनसे शास्त्रार्थ चल रहा था। मंडन मिश्र की पत्नी देवी भारती निर्णायक थीं। हार-जीतका निर्णय नहीं हो पा रहा था, तभी देवी भारतीको किसी आवश्यक कार्यसे बाहर जाना पड़ा। जानेके पूर्व उन्होंने दोनों विद्वानोंके गलेमें एक-एक माला डालते हुए कहा, मेरी अनुपस्थितिमें मेरा काम ये फूलमालाएं करेंगी। […]

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साधनामें सफलता


एक  समय पंचवटी स्थित आश्रममें भगवान श्रीराम लक्ष्मणजीके साथ बैठे थे । लक्ष्मणने सरल भावसे एक जिज्ञासा उनके समक्ष रखी । उन्होंने पूछा, “प्रभु माया किसे कहते हैं ? श्रीरामने बताया,” यह मैं हूं और यह मेरा है,  वह तू है और वह तेरा है । बस यही माया है, जिसने समस्त जीवोंको अपने वशमें […]

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ज्ञानसे भ्रमका दूर होना


काशीमें गंगाके तटपर एक संतका आश्रम था। एक दिन उनके एक शिष्य ने पूछा, ‘गुरुवर, शिक्षाका सार क्या है?’ संतने मुस्करा कर कहा, ‘एक दिन तुम स्वयं जान जाओगे।’ बात आई और गई । कुछ समय पश्चात एक रात्रि संतने उस शिष्यसे कहा, ‘वत्स, इस पुस्तकको मेरे कमरेमें रख दो।’ शिष्य पुस्तक लेकर कमरे में […]

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प्रेरक कथा – प्रतिफल


एक व्यापारी एक ग्राममें प्रतिदिन जाता था । उस ग्राममें एक किसान प्रतिदिन एक सेर घृत(घी) उस व्यापारीको विक्रय करता था । एक दिन व्यापारीने ने विचार किया -“मैं नित्य इस किसानपर विश्वास करके बिना तोले घी ले लेता हूं, क्यों न आज घीको तोल कर देखूं जिससे कि मुझे भी ज्ञात हो सके कि […]

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प्रेरक प्रसंग – मूर्तिपूजा


“सनातन धर्मके सिद्धान्त अनुसार सगुण एवं निर्गुणमें भेद नहीं है ।” इसीसे संबन्धित यह प्रसंग है । एक समय स्वामी विवेकानंदजीको एक राजाने अपने प्रासाद(महल) में आमंत्रित किया और कहा, ”तुम हिन्दू लोग मूर्तिकी पूजा करते हो, मिट्टी, पीतल, पत्थर जैसे जड पदार्थोंसे बनी मूर्तिकी ! परंतु मैं ये सब नही मानता । ये सब […]

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सद्गुरु स्त्री-पुरुषमें भेदभाव नहीं करनेवाले समदर्शी व्यक्ति होते हैं !


यह घटना हिन्दीकी सुप्रसिद्ध कवयित्री महादेवी वर्माके युवावस्थाकी है । वे महाविद्यालयमें पढती थीं । अनायास उन्हें बौद्ध भिक्षुणी बननेका विचार आया । उन्होंने श्रीलंकाके बौद्ध विहारके महास्थविरको पत्र लिखकर पूछा कि  दीक्षा लेनेके लिए लंका आऊं या आप भारत आएंगे ? उन्होंने उत्तर दिया कि वे भारत आ रहे हैं । नैनीतालमें ठहरेंगे, वे […]

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