जब तक माता-पिता, दादा-दादी देहमें हों तो उनकी आज्ञाका पालन करना, उनकी सेवा-शुश्रुषा कर उन्हें प्रसन्न रखना चाहिए । आजकल लोग यह तो करते नहीं, मरनेके पश्चात उनके छायाचित्र लटकाकर पूजा करते हैं ! जब पूर्वज देहमें थे….
यदि पितरोंके छायाचित्र रखनेका विधान हिन्दू धर्ममें होता तो प्रत्येक घरमें सभीके पूर्वजोंके तैल-चित्र अवश्य होते; किन्तु ऐसा है नहीं ! मात्र राजाओंके तैल-चित्रका प्रचलन था, जिससे उनके वंशजोंको उनके गौरवशाली इतिहासका स्मरण रहे और वे……
पितरोंके छायाचित्र रखना शास्त्रसम्मत नहीं है ! पितरोंके चित्र या छायाचित्रके पूजाका विधान किसी भी धर्मशास्त्रमें नहीं बताया गया है…..
कल रात्रिमें जब ‘धर्मधारा श्रव्य सत्संग’ आश्रमके चलभाषद्वारा (मोबाइलद्वारा) ‘व्हाट्सएप्प’के भिन्न गुटोंमें प्रेषित किया जा रहा था तो दो चलभाषसे सभी सत्संग प्रेषित हो गए; किन्तु एक चलभाष जिसमें १०० गुट हैं…..
मूर्ति विज्ञान, ‘स्पन्दनशास्त्र’पर आधारित ज्ञान है । अब गुरुजीको सूक्ष्मका ज्ञान होता ही नहीं, थोडे ग्रन्थ रटकर, थोडा संगीत सीखकर, गुरुपदपर बैठ जाते हैं ! स्पन्दन शास्त्र इत्यादिसे उन्हें क्या लेना-देना है ?…..
किसी सुप्रसिद्ध गुरुके मार्गदर्शनमें साधना करनेवाले, एक साधक ‘उपासना’द्वारा आयोजित सामूहिक जपयज्ञमें जब प्रथम दिवस आए तो जप आरम्भ होते ही वे विचित्र प्रकारकी मुद्रा कर, हिलने-डुलने लगे । मैंने पूछा, “क्या हुआ, तो वे कहने लगे….
कल ध्यानसे उठनेपर ‘साधना’ गुट बनानेका निश्चय कर, ‘धर्मधारा सत्संग’के ध्वनिमुद्रणकी सेवा हेतु बैठी ! दो घण्टे प्रयास करती रही; किन्तु कुछ अडचन आनेके कारण ध्वनिमुद्रण नहीं हो पाया, सॉफ्टवेरके सारे समायोजन (सैटिंग) ठीक थे…..
इन्दौरमें जहांपर ‘उपासना’के आश्रमका निर्माण होनेवाला है, वहांके एक वृक्षके तनेमें तीन वृक्ष हैं, जिसके विषयमें सूक्ष्म जगत अन्तर्गत कुछ दिवस पूर्व हमने एक लेख लिखा था, उसीके सम्बन्धमें मेरे मनमें……
दो माह पूर्व एक दिवस ध्यानके समय अकस्मात ‘उपासना’के नूतन प्रस्तावित आश्रमकी भूमिका दृश्य दिखाई दिया । वहां भूमिके पीछेवाले भागमें एक वृक्ष है जिसमें तीन प्रकारके वृक्ष एक तनेमें हैं……
सूक्ष्म इन्द्रियोंके साथ विवेकके जागृत होनेसे व्यक्तिको सत्त्व, रज और तम, इन तीनों गुणोंमें भेद समझमें आता है । आज अधिकांश लोग पाश्चात्योंका अन्धानुकरण करते हैं; क्योंकि उनकी सूक्ष्म इन्द्रियां जागृत ही नहीं होती हैं….