धर्म

हनुमानजीमें ७०% प्रकट शक्ति है


 हनुमानजी में 70% प्रकट शक्ति है इसलिए असुरों के नगरी लंका में एक भी असुर उनका कुछ भी नहीं बिगाड़ सके, अपितु उन्होंने स्वर्ण की मायावी लंका नगरी को ही उद्ध्वस्त कर दिया ! परंतु धर्माभिमान के अभाव में आज अधिकांश हिन्दू मज़ार पर जाते हैं !! मज़ार की अपेक्षा कई गुणा अधिक शक्ति हनुमान […]

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जन्म हिन्दु से कर्म हिन्दु बनो


एक हिंदुत्त्ववादी व्यक्ति मिले उन्होने कहा ” मुझे गर्व है कि मैं हिन्दू हूं” , मैंने कहा “यह तो बड़ी अच्छी बात है , आपको हिन्दू होनेपर क्यों गर्व है मात्र दस कारण बताएं”। महाशय चार कारण भी नहीं बता पाएं !! अतः हिंदुओं मात्र मुझे हिन्दू होने पर गर्व है यह मत कहते फिरो […]

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आनंदका स्रोत हमारे बाहर नहीं, अंदर है !!!


कुछ धनाढ्य साधक भ्रमणका आनंद लेने हेतु विदेश जाते हैं, ऐसे साधकोंको सूचित कर दूं कि यदि इसके स्थानपर आप भारतमें ही किसी धार्मिक स्थलपर जाएंगे तो वह अधिक उपयुक्त होगा, इसके कारण निम्न हैं – १. विदेशमें अधिकांश नहीं वरन् १०० % होटल ‘भूतहा’ होते हैं, योग्य गुरुकी शरणमें साधना करनेसे आपका सूक्ष्म आवरण […]

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अधिकांशत: विदेश जाने वाले हिन्दुओंको भारतका अध्यात्मिक महत्त्व ज्ञात ही नहीं है


कुछ दिवस पूर्व एक स्त्रीका हमारे पास दूरभाष आया कि वे मेरे लेखसे प्रेरित होकर विदेश छोड भारत लौट आई हैं ! यथार्थ तो यही है कि आज अधिकांशत: विदेश जाने वाले हिन्दुओंमें अपने देशके प्रति धर्माभिमान अल्प है या उन्हें भारत जैसे देशका अध्यात्मिक महत्त्व ज्ञात ही नहीं है ! मैंने पाया है कि […]

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हमारे जीवनकी ८०% समस्याएं मूलतः आध्यात्मिक स्वरूपकी होती हैं


हमारे जीवनकी ८०% समस्याएं मूलतः आध्यात्मिक स्वरूपकी होती हैं अर्थात शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्तरपर कितने भी प्रयास करें, उसका हल नहीं मिलता, सुखी गृहस्थ जीवनके लिए वैदिक संस्कृति अनुसार धर्माचरण करें, अपने कुलदेवता और पितरको सन्तुष्ट रखें, ये दोनों प्रसन्न रहेंगे और आप कर्मसे वैदिक होंगे तो आप अपनी ही क्यों, अन्य कई लोगोंकी […]

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पाश्चात्य संस्कृति तमोगुणी एवं अध्यात्म शास्त्र विरहित है


खरे अर्थोंमें विद्या हमारी बुद्धि और विवेकको जागृत करती है; परंतु आजकी मैकालेकी आसुरी शिक्षण पद्धतिने हमे योग्य और अयोग्यके मध्यका भेद भी समझने  योग्य नहीं रहने दिया है, तभी तो कभी सत्त्व प्रधान रही  इस भारतीय संस्कृतिमें  जन्म लेनेवाले ये आजके कथित बुद्धिजीवी अपने विवेकको ताकपर रख पाश्चात्य संस्कृतिका अंधा अनुकरण करते हैं, जो […]

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पुरुष किसे कहते हैं ?


अपनी वासनाको अनियंत्रित कर परस्त्रीपर उसका प्रदर्शन करनेको पुरुषत्त्व नहीं कहते। अपनी वासनाको नियंत्रित कर परस्त्रीको मातृशक्तिके रूपमें देखनेको पुरुषत्त्व कहते हैं। जिन राजाओंने परस्त्रीको भोग्य समझ उसका शोषण किया उसकी कीर्ति और वंशका नाश शीघ्र हुआ है इतिहास इसका साक्षी है। वैदिक संस्कृतिमें जिन्होंने युद्धमें पकडे गए स्त्रीयोंको भी मां समान समझा, इतिहास ऐसे […]

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समयका सदुपयोग करें


धन नष्ट हो जाये तो पुनः पुरुषार्थ कर उसे संग्रहित किया जा सकता है; परंतु समय एक बार निकल जाये तो पुनः नहीं आता अतः समयका सदुपयोग करें । जितना दुख स्व अर्जित धनके खोनेमें होता है उससे अधिक दुख बहुमूल्य समय के व्यर्थ गंवानेमें होना चाहिए ! यह मनुष्य योनि बहुमूल्य है इसका सार्थक […]

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धर्म शिक्षणका महत्व


जितनी सरलतासे एक हिन्दु मुसलमान या ईसाई बन जाता है उतनी सरलतासे एक मुसलमान या ईसाई, हिन्दू क्यों नहीं बनता जब कि सम्पूर्ण जगतको ज्ञात है कि वैदिक सनातन धर्म सबसे वैज्ञानिक एवं आध्यात्मिक रूपसे उन्नत धर्म है तो कारण एक ही है – हिंदुओंमें धर्मशिक्षण एवं धर्माभिमानका अभाव है !! कटु सत्य तो यह […]

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दुर्जनको दंड देकर उसके पापको कम करना यह धर्म है अधर्म नहीं !!


कुछ व्यक्ति, दुर्जनों को भी प्रेम से मनः परिवर्तन करने का उपदेश देते फिरते हैं, ऐसे सभी उपदेशकों ने तालिबानी क्षेत्र में जाकर अपने प्रेम का कुछ प्रभाव दिखाये तो मैं उनके प्रेम शास्त्र को मान जाऊं ! जब दुर्जनों का राम और कृष्ण जैसे अवतार उनका मनः परिवर्तन नहीं कर पाएँ तो ये प्रेमयोग […]

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