धर्म

पूज्य चेतन दास बाबा


आज का समाज जब परस्त्री को भोग की एक वस्तु की रूप में देख रहा है और कुछ नासमझ स्त्रीयां अपनी स्त्री सुलभ लज्जा को त्याग कर पैसे और ओछी पब्लिसिटी हेतु नंगा नाच कर रही है, ऐसे परिपेक्ष में पूज्य चेतन दास बाबा की यह सुवचन सुग्राह्य और योग्य दृष्टिकोण देती है | “परस्त्री […]

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सम्पूर्ण ब्रह्मांडको वैदिक सनातन धर्मका महत्व समझना होगा !!!


मुझसे किसीने कहा, “आपकी छवि समाजमें एक कट्टर हिन्दु नारीके रूपमें बनती जा रही है ” | मैंने उनसे कहा, “यदि समाजमें इस रूपमें जाने तो इसे मैं अपना सौभाग्य मानुंगी, धर्म रक्षणार्थ मुझे जो भी उपमा दी जाये मुझे सर्व स्वीकार्य है; परंतु अपने दृष्टिकोण और अपनी प्रवृत्ति कदापि परिवर्तित नहीं करूंगी | सर्व […]

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आज कलाके प्रत्येक क्षेत्रने अपना विभत्सतं स्वरूप ले लिया है!!


आज कलाके प्रत्येक क्षेत्रने ले लिया है अपना विभत्सतं स्वरूप आजकल सामान्य जन मानसको हंसानेके लिए कुछ हंसोड धारावाहिक आरम्भ किए गए हैं परंतु वहांपर हंसानेके लिए निम्नलिखित कुकृत्य होते हैं – १. भद्दे दो अर्थवाले संवादोंका उपयोग किया जाता है जिसे कोई स्त्री जिसमें संस्कार हो वह आप अपने पिता या भाईके साथ बैठकर […]

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अन्याय करने वाले से अधिक बड़ा पापी अन्याय सहन करने वाला होता है


अन्याय करने वाले से अधिक बड़ा पापी अन्याय सहन करने वाला होता है | अन्याय करनेवालेकी तो बुद्धि भ्रष्ट हो चुकी होती है परंतु अन्याय सहन करनेवालेके वृत्ति नपुंसक हो चुकी होती है और ऐसे प्रवृत्तिवाले शेरपर तो लोमड़ी भी राज्य करती है |-तनुजा ठाकुर

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बौद्धिक पतन इसे ही कहते हैं


संतोंके सुवचनका मनन चिंतन कर उसे वैयक्तिक जीवनमें और सामाजिक जीवनमें कृतिमें लानेके स्थानपर आजके बुद्धि जीवी उनकी निंदा करते हैं या अपने संकुचित बुद्धिका परिचय देते हुए उसके विषयमें नकारात्मक दृष्टिकोण देनेको ज्ञान कहते हैं ! खरे अर्थमें इसे intellectual bankruptcy अर्थात् बुद्धि भ्रष्टता कहते हैं  ! -तनुजा ठाकुर

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सात्त्विक व्यक्तियोंको प्राकृतिक चिकित्सामें सहज विश्वास होना !


मैंने ऐसा पाया है कि सात्त्विक प्रवृत्तिके व्यक्तिको प्राकृतिक चिकित्सामें सहज विश्वास होता है और राजसिक एवं तामसिक प्रवृत्तिके व्यक्तियोंको आधुनिक चिकित्सा पद्धतिमें अधिक विश्वास होता है | जब किसी साधकको शारीरिक कष्ट रहता है और वह आध्यात्मिक स्वरुपका अल्प ही होता है तो मैं उन्हें शारीरिक स्तरपर उपाय करने हेतु प्राकृतिक चिकित्सा अंतर्गत आयुर्वेद, […]

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अयोग्य, अधर्मी और व्यभिचारी राजाके प्रति कैसा वर्तन हो ?


हमारे धर्मशास्त्रोंमें कहा गया है, अयोग्य, अधर्मी और व्यभिचारी राजाको पागल कुत्तेके समान पत्थर मार मार कर उसका वध कर देना चाहिए | यद्यपि आज तक ऐसा भारतीय इतिहासमें नहीं हुआ; परन्तु आजके अनेक देशद्रोही, धर्मद्रोही और व्यभिचारी शासनकर्ताओंको देखकर ऐसा करनेकी अनेक भारतीयोंकी इच्छा होती है ! – तनुजा ठाकुर

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आधुनिक विज्ञान एवं उसके आविष्कारका छिछलापन


वर्तमान समयमें योग्य धर्माचरण एवं साधनाके अभावमें तथा आधुनिकताकी अंधी दौडमें जीवन मूल्योंका पतन हुआ है और परिणामस्वरूप अनेक स्त्री एवं पुरुषको प्रजनन संबन्धित कष्ट हो रहे हैं और विवाहित दंपति IVF प्रणालीके माध्यमसे संतान सुख पानेका प्रयास कर रहे हैं ! तो देखें आधुनिक विज्ञानका आविष्कार कितना घातक है ! जब संत किसी निः […]

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समाज कितना अकर्मण्य हो गया है


अनेक व्यक्तिने मुझसे कहा कि मुझे अध्यात्ममें प्रगति करना है, सेवा करना है अतः आप बताएं कि हम क्या सेवा कर सकते हैं ? अनेकोंने कहा कि वे घर बैठे कुछ संगणकीय (कम्प्युटर) से संबन्धित सेवा कर सकते हैं, मैंने अनेकोंको संगणकद्वारा अंतर्जालसे प्रसारकी सेवाके बारेमें बताया परंतु दो चारको छोड किसीने भी हाँ नहीं […]

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इंटरनेटके कारण आज अनेक गृहस्थी टूट रही है !


  कुछ दिवस पूर्व एक व्यक्ति (साधक) नहीं कह सकती फेसबुकपर अपने महिला मित्रोंको पॉर्न वीडियो और अश्लील बातें इनबॉक्सपर भेजता था, उनकी पत्नीने एक दिवस जब भूलसे उनका प्रोफ़ाइल देखा तो वह सन्न रह गयी उन्हें अपने पतिसे यह अपेक्षा नहीं थी वह पागल समान हो गयी और आत्महत्या तक करनेका प्रयास करने लगी […]

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