अध्यात्म एवं साधना

हिन्दू धर्ममें 33 कोटि देवी-देवता क्यों ?


धर्मका मूलभूत सिद्धांत है जितने व्यक्ति उतनी प्रकृत्ति उतने साधना मार्ग अर्थात चूंकि इस पृथ्वीपर प्रत्येक व्यक्ति एक दूसरेसे भिन्न होता है अतः प्रत्येककी साधना पद्धति एवं योगमार्ग भिन्न होता है।  प्रत्येक व्यक्तिका संचित, क्रियमाण कर्म, उसका प्रारब्ध, उसके पंचतत्त्व, पञ्च महाभूत एवं स्वभाव सब कुछ भिन्न होता है अतः उसकी साधनापद्धति भी भिन्न होती […]

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खरे कर्मयोगी


खरे कर्मयोगी ब्रह्मज्ञानी स्थितप्रज्ञ संत होते है शेष बुद्धिजीवी कर्मयोगीका चोला पहन अपने साधकत्त्वका ढोंग करते हैं – तनुजा ठाकुर

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अपनी आध्यात्मिक यात्रा किस प्रकार आरंभ करें ?


कलियुगकी सर्वोत्तम साधना – नाम संकीर्तन योग कलिकालमें साधारण व्यक्तिकी सात्त्विकता निम्न स्तरपर पहुंच गयी है। ऐसेमें वेद उपनिषद्के गूढ भावार्थको समझना क्लिष्ट हो गया है । अतः ज्ञानयोगकी साधना कठिन है । वर्तमान समयमें लोगोंके पास पूजा करनेके लिए दस मिनट भी समय नहीं होता तो अनेक वर्षों तक विधिपूर्वक ध्यान योगकी साधना कहां […]

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ईश्वरके सगुण रूपके प्रति प्रेमके बिना, उनके निर्गुण स्वरूपकी प्राप्ति असंभव है


कुछ पंथोंके संस्थापक मूर्तिपूजाके विरोधक थे और आज उन पंथोंके अनुयायियोंद्वारा विश्वमें सर्वाधिक प्रमाणमें बनाई हुई अत्यधिक ऊंची मूर्तियां आप सर्वत्र देख सकते हैं ! बेचारे अनुयायी अपने गुरुकी निर्गुण तत्त्वज्ञानकी जग हंसाई करवा रहे हैं ! ध्यान रहे बिना ईश्वरके सगुण रूपके प्रति प्रेम और समर्पणके, उनके निर्गुण स्वरूपकी प्राप्ति असंभव है । चलिये […]

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अध्यात्ममें शीघ्र प्रगति कैसे करे


श्रवण भक्तिके माध्यमसे अध्यात्ममें प्रगति करनेमें बहुत समय लग जाता है । यदि अध्यात्ममें शीघ्र प्रगति करनी है, तो सत्संगमें बताये जानेवाले विषयको कृतिमें लाकर आत्मसात करनेका प्रयास करना चाहिए – तनुजा ठाकुर

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आजके परिवेशमें साधनाके लिए समय नहीं मिलता, तो क्या करें ?


‘साधनाके लिए समय नहीं मिलता’, यह अडचन अधिकांश व्यक्ति बताया करते हैं और आज हम इसी विषयके बारेमें जानेंगे । बडे नगरोंमें प्रातःकालसे ही कार्यालय जानेकी भाग-दौड आरम्भ हो जाती है, ऐसेमें कार्यालयके लिए जाते समय, जब आप वाहनद्वारा प्रवास कर रहे हों, तब नामजप करनेका प्रयास करें । कलियुगके लिए योग्य साधना नामसंकीर्तनयोग है […]

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निःसंकोच सनातन धर्मके सिद्धान्तको अपनाकर अपने जीवनको यशस्वी बनाएं !


यदि कोई व्यक्ति किसी अट्टालिकाके सौवें तलेपर हो तो उसे नगर सर्वाधिक व्यापक स्तरपर दिखाई देगा, उसी प्रकार सनातन धर्मके ऋषि, मुनि और पूर्णत्व प्राप्त सन्तोंकी सूक्ष्म ज्ञानेन्द्रियां १००% कार्यरत रहीं हैं; अतः उनकेद्वारा प्रतिपादित मृत्यु उपरान्तकी यात्रा या सूक्ष्म जगतके ज्ञानके विरोधमें जो भी अपने विचार रखते हैं, वे पूर्ण सन्त नहीं, यह मापदण्ड […]

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भजन मंडलियोंमें वर्षोंसे भजन हेतु आनेवालोंकी प्रगति क्यों नहीं होती है प्रगति ?


यूरोपके एक मंदिरमें जब मैं प्रवचनमें गयी तो वहां महिलाओंकी भजन मंडली, ‘सत्संगके बिना मेरे दिल न लगे’ यह भजन गा रही थीं, मुझे उसी समय प्रवचन लेने थे, किन्तु भजन मंडलीकी सदस्याएं मेरे समक्ष अनेक देवी-देवताओंके भजन गाती रहीं, मैंने उन्हें दो बार कहा भी कि प्रवचनका समय हो रहा है, मुझे बोलने दें, […]

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भगवान शिव उर्ध्वरेतस हैं अतः वे प्रत्येक क्षण नयी सृष्टिका निर्माण करते हैं


जो पुरुष मात्र संतान उत्पत्ति हेतु धर्म मार्गका अनुसरण कर, अपनी सहधर्मिणी संग शारीरिक संबंध बनाते हैं और शेष समय ब्रह्मचर्यका पालन कर अपने वीर्यको ऊर्ध्व दिशाकी ओर प्रवृत्त करते हैं ऐसे सदगृहस्थ पुरुषोंको धर्मशास्त्रोमें सन्यासी समान माना है और ऐसे पुरुषोंमें मात्र संकल्प शक्तिमें एक नए ब्रह्मांडकी उत्पत्ति करनेकी क्षमता होती है । भगवान […]

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साधना की तो विवाह करनेसे वंचित रह जाओगे – एक गलतधारणा


साधना संबंधी कुछ गलत धारणाएं समाजमें प्रचलित हैंं अध्यात्म और धर्म संबन्धित हमारी नींव जितनी सशक्त होगी, आध्यात्मिक प्रगति करना उतना ही सुगम होता है और बुद्धि बाधा न बन, आध्यात्मिक प्रगतिके लिए पूरक हो जाती है, साथ ही कोई हमें इस पथसे विमुख या दिशाहीन भी नहीं कर सकता। आज हम एक महत्वपूर्ण गलतधारणाके […]

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