हमारे देशमें हमारे पूजनीय गुरुओंने कभी भी विद्याको बेचा नहीं ! पात्रता अनुसार वे विद्यादान किया और विद्याप्राप्तिके पश्चात शिष्य भी अपनी इस गुरु ऋणसे मुक्त होने हेतु दूसरोंको निःशुल्क विद्या दान दिया करते थे ……
धर्मशिक्षणके अभावके कारण आजकी युवा पीढीके कृत्य विचित्र होते हैं ! प्राप्त समाचार अनुसार एक हिन्दू युवा युगलने विवाह हेतु संविधानका शपथ लिया है ! वैदिक रीतिसे विवाहके महत्त्वको विदेश समझकर उसे करने हेतु भारत आते रहते हैं, वहीं निधर्मी शिक्षण पद्धतिसे शिक्षित युवा इसका महत्त्व नहीं समझ पाते हैं ! वैदिक अनुष्ठानके माध्यमसे सम्पन्न […]
उपासनाका आश्रम एक पारंपारिक आश्रम है तो स्वाभाविक है कि यहां विद्याप्राप्ति कराई जाएगी | विद्याकी परिभाषा जिन्हें नहीं ज्ञात है उन्हें बता दें, विद्या अर्थात ‘सा विद्या या मुक्तये’ अर्थात जो हमें मुक्तिका मार्ग दिखाए, उसे विद्या कहते…….
एक साधकने मुझसे पूछा कि फलां-फलां साधकोंको देखकर मेरे मनमें प्रश्न निर्माण होता है कि वे भारतके इतने बडे वैज्ञानिक प्रतिष्ठानोंसे कैसे उच्च शिक्षा प्राप्त कर ली जबकि उनमें तो सामान्य ज्ञानका भी अभाव स्पष्ट रूपसे देखा जा सकता है ! इसका उत्तर यह है कि आजकी निधर्मी एवं आसुरी मैकाले शिक्षण पद्धतिमें पदवी पाने […]
आर्य चाणक्यके सर्व राजकीय एवं आर्थिक सिद्धांत धर्म अधिष्ठित थे । कलियुगी राजनीतिक चाणक्योंके सिद्धांत येन-केन-प्रकारेण मात्र सत्ता प्राप्त करनेतक सीमित रहता है । उनके लिए तत्त्व, सिद्धांत व आदर्शोंका कोई महत्त्व नहीं होता है ! ऐसे तथाकथित चाणक्योंको बता दें कि अधर्म आधारित राजनीति अधिक समयतक नहीं चलती है ! और आजके कुछ मूढ […]
एक शुभचिंतकने मुझसे कहा कि आपकी वाणी अत्यन्त मधुर है; अतः आप अपने प्रवचनमें आधे समय भजन करें, इससे आपके प्रवचन अधिक प्रभावी होंगे । मैंने कहा, “जिस प्रकार अति दक्षता कक्षके (ICU) रोगीको प्राणवायु (oxygen) दिया जाता है, उसीप्रकारकी स्थिति आजके हिन्दुओंकी है । उसे धर्मको जान कर, धर्माचरण करनेकी आवश्यकता है । भजन […]
स्वामी विवेकानन्द विश्व धर्म सम्मलेनमें भाग लेने शिकागो (अमेरिका) गए थे । उनके भगवे वेशभूषाको देखकर एक विदेशी महिलाने उनका उपहास करते हुए पूछा, “यह क्या है ?” वे वाक्पटु तो थे ही, तपाक उत्तर दिया, “यह आपका देश है, जहां दर्जी और वेषभूषा आपके व्यक्तित्वका निर्माण करता है; परन्तु हमारे देशमें चरित्र, व्यक्तित्वका निर्माण […]
एक बात जो मैंने अपने धर्मप्रसारके मध्य पाया है कि जो स्त्रियां अपने पति या ससुरालसे या अपने ससुराल पक्षसे मानसिक दूरी रखती हैं अर्थात पतिको तो अपना लेती हैं किन्तु…..
हिन्दू धर्ममें इतने व्रत-त्यौहार होते हुए भी यदि हिन्दू धर्माभिमुख और ईश्वराभिमुख न हो पाए तो इससे अधिक दुःखकी बात और क्या हो सकती है ? किन्तु वर्तमान भारतमें ऐसा ही हो रहा है यह हिन्दुओंको विधिवत धर्मशिक्षण नहीं मिलनेके कारण ही है इसीलिए हिन्दुओंको धर्माभिमुख करने हेतु पाठ्यक्रमोंको धर्मकी शिक्षा देना अनिवार्य करना चाहिए […]
स्त्रियो, आपको जैसी बहु चाहिए, अपनी पुत्रीमें वैसे ही गुण डालें ! ध्यान रहे आपकी पुत्री ही कहींकी बहु बनती है ! – तनुजा ठाकुर