अनेक अध्यात्मविदों समष्टि साधना करनेवालोंको सूक्ष्म जगतकी अनिष्ट शक्तियोंद्वारा होनेवाले कष्टके बारेमें बतानेपर वे या तो इसे स्वीकार नहीं करते या कुछ हास्यास्पद उपाय बताते हैं जिसे सुनकर यह भान होता है कि आज ९०% अध्यात्मविदोंको सूक्ष्म जगत संबंधी ज्ञान नहीं है या अत्यल्प है ! यह बतानेमें मुझे तनिक भी संकोच नहीं कि ऐसे अध्यात्मविद, संत श्रेणीमें नहीं आते चाहे उनकी पास कितना बडा भी आध्यात्मिक पद क्यों न हो ! जबकि अध्यात्म दो प्रतिशत शाब्दिक है शेष सूक्ष्मसे ही संबन्धित है।
आज हिंदुओंकी स्थिति इतनी विकट है कि सामान्य हिन्दू, अध्यात्मविद, सन्यासी एवं अनेक व्यष्टि स्तरपर साधना करनेवाले उन्नतोंको धर्म एवं सूक्ष्म संबंधी ज्ञान नहीं, २०२३ से आरंभ होनेवाले हिन्दू राष्ट्रमें हिंदुओंको सूत्रबद्ध पद्धतिसे धर्मशिक्षण देना अनिवार्य रहेगा जिसमें सूक्ष्म संबंधी तत्त्वज्ञान एवं सूक्ष्म इंद्रियों को जागृत करनेकी प्रक्रिया भी अन्तर्भूत की जाएगी -तनुजा ठाकुर
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