विदेशमें रह रहे कुछ हिन्दुओंको लगता है कि वे प्याज-लहसुन, मांसाहार इत्यादिका सेवन नहीं करते हैं या मदिरापान नहीं करते हैं तो यही बहुत बडी साधना है । वस्तुतः प्याज-लहसुनसे हमारे शरीरमें रजोगुण मात्र बीस मिनटके लिए एक लक्षांश बढ जाता है और उसी प्रमाणमें मांसाहार करनेपर तमोगुण बढ जाता है । हिन्दू धर्म एक सात्त्विक जीवन प्रणालीका प्रतिपादन करता है; अतः यहां अंशमात्र भी रजोगुण या तमोगुणका त्याग स्तुत्य माना जाता है । ध्यान रहे ! प्याज-लहसुन या मांसाहारका त्याग, यह मात्र सात्त्विक जीवन प्रणालीका एक अंश मात्र है, आध्यात्मिक प्रगति हेतु योग्य प्रकारसे साधना करना अति आवश्यक है अन्यथा विदेशमें सतत हो रहे तमोगुणके सूक्ष्म आघातके प्रभावसे सूक्ष्म काले आवरणमें निरन्तर वृद्धि होती है । हमारे श्रीगुरुके अनुसार, अखण्ड नामजप करनेसे हमारे भीतर ५% तककी सत्त्व गुणकी वृद्धि होती है; अतः तमोगुणी प्रवृत्तिका त्यागकर अपने सत्त्व गुणके संरक्षणके साथ ही योग्य प्रकारसे साधना करना, सत्त्व गुणकी वृद्धि हेतु परम आवश्यक है ।
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