जयपुर, राजस्थानके श्री मनीष शर्माकी अनुभूति


सात्त्विक दिनचर्याके पालनसे हुआ अत्यधिक परिवर्तन
जबसे हमारे यहां वैदिक उपासना पीठका प्रथम सत्संग हुआ है, हमारे घरमें बहुतसे परिवर्तन हुए हैं, जैसे पूजा नियमित होने लगी है, सात्त्विक दिनचर्याका पालन होने लगा है, मुझे पहलेसे अधिक सात्त्विकताकी अनुभूति होने लगी है, इसके अतिरिक्त कुछ मात्रामें आर्थिक सुधार भी आरम्भ हुआ है और कुछ होनेकी सम्भावना बनी है । मानसिक शान्ति और व्यावहारिक परिवर्तन भी हुए हैं । आपसे जुडनेके उपरान्त मद्यपानकी इच्छा तो नगण्य ही हो गई है । घरमें कलह-क्लेश भी न्यून हुए हैं । आपके लेख पढकर बच्चोंमें भी सनातनी संस्कार डालने आरम्भ किए हैं । प्रसन्नताकी बात ये है कि बच्चे भी अब मन्दिर अपनी इच्छासे जाना चाहते हैं और कुछ आरतीकी पंक्तियोंको भी वो गुनगुनाने लगे हैं । मेरी हिन्दी भाषामें भी उर्दू शब्दोंके प्रयोग न्यून हो गए हैं । कल मैंने प्रथम बार अपना जन्मदिन हिन्दी पाचांगके अनुसार मनाया और कुलदेवता दर्शनके लिए भी गया । बच्चे प्रार्थना कर भोजन करने लगे हैं । – मनीष शर्मा, जयपुर राजस्थान (२४.५.२०१५)
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