धर्मशिक्षणके अभावमें आज हिन्दुओंको सभी व्रत-त्यौहार ईश्वरप्राप्तिके साधन नहीं, वरन मनोरंजनके माध्यम प्रतीत होते हैं । कल ही एक ‘फेसबुक’पर विदेशके एक मन्दिरमें दुर्गापूजाके समय होनेवाले स्त्रियोंके नृत्य देखकर लगा कि वे नृत्य मां दुर्गाकी आराधना हेतु नहीं अपितु अपनी किसी सखीके विवाहमें स्वयं एवं अन्योंके मनोरंजन हेतु नृत्य कर रही हों । (२८.१०.२०१४)
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