अध्यात्म

किसी सन्तके संरक्षणमें साधना करें, वे ही इस आपातकालमें आपकी नैयाको पार लगा सकते हैं !


 केन्द्रमें सशक्त शासन होता तो उसकी नाकके नीचे देहली क्षेत्रमें कोरोना महामारीसे इतने लोग हताहत नहीं होते ! आपको बताया था न निधर्मी शासन कभी भी कोई प्राकृतिक आपदासे उत्पन्न भयावह स्थितिको नियन्त्रित नहीं कर सकता है । आज उसका उदाहरण सबके समक्ष है ! अतः हिन्दुओ, किसी सन्तके संरक्षणमें साधना करें, वे ही इस […]

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स्मरणहीनता रुपी दुर्गुणको दूर कैसे करें ? (भाग – ३)


हमारे देशमें वैदिक लोगोंकी स्मरणशक्ति इतनी तीक्ष्ण हुआ करती थी कि गुरु अपने शिष्यको अपनी साधनासे अर्जित ज्ञान उसकी स्मृतिमें डाल कर निश्चिन्त हो जाते थे; क्योंकि उन्हें ज्ञात था कि वह यथावत अगली पीढीके शिष्योंतक उनके …..

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रज-तम प्रधान लोगोंमें कोरोना रोग शीघ्र पसर रहा है ! अतः सात्त्विक रहें !


कोरोना रुपी महामारीके जो मुख्य केन्द्र बिन्दु (हॉट स्पॉट) आज भारतमें हैं, उनमें अधिकांशत: महानगर या बडे नगर हैं ! यदि  इस संक्रमणको फैलानेके मुख्य उत्तदायी तत्त्व अर्थात जमातियोंको छोड दिया जाये तो एक बात तो स्पष्ट है कि रज-तम प्रधान लोगोंमें यह रोग शीघ्र पसर रहा है ! अतः सात्त्विक रहें, यही संक्षेपमें कहा […]

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स्मरणहीनता रुपी दुर्गुणको दूर कैसे करें ? (भाग – २)


स्मरणहीनता यह दुर्गुणको दूर कैसे करें, यह आप स्वत: ही जान जाएंगे जब आप इस लेखमालाको पढेंगे; क्योंकि इसमें कारण बताया जाएगा तो यदि आप उस कारणका अभ्यास करेंगे तो आपकी बुद्धि निश्चित ही शुद्ध व तीक्ष्ण हो जाएगी …..

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स्मरणहीनता रुपी दुर्गुणको दूर कैसे करें ? (भाग – १)


जबसे ‘उपासना’के माध्यमसे समष्टि सेवा आरम्भ की है तबसे मुझे एक बात ध्यानमें आई है कि आजके सामान्य व्यक्तिमें स्मरणहीनता रुपी दुर्गुणका प्रमाण बहुत अधिक बढ गया है ! पहले मुझे लगा कि यह ग्रामीण क्षेत्रोंमें अधिक है …..

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बुद्धि और विवेकमें भेद क्या होता है ?


बुद्धि सात्त्विक, राजसिक और तामसिक हो सकती है | विवेक सदैव ही सात्त्विक होता है और विवेकी मनुष्य कभी भी कोई अधर्मी निर्णय नहीं लेता है | पूर्वकालमें हिन्दुओंद्वारा धर्माचरण एवं साधना करनेके कारण, सभीके विवेक जागृत हुआ करता था;  इसलिए सनातन संस्कृति सर्वत्र फल-फूल रही थी और लोग आध्यत्मिक प्रगति कर रहे थे ! […]

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मायाकी जिस वस्तुसे सुख मिलता है, वही दुःखका कारण बनती है !


मायाकी जिस वस्तुसे हमें सुख मिलता है, वही हमारे दुःखका कारण बनती है, ऐसा शास्त्र है । जैसे पुत्रका जन्म हो तो सुख मिलता है; किन्तु वह अस्वस्थ हो जाए तो दुःख मिलता है, वह बडा अधिकारी बन जाए तो सुख मिलता है; किन्तु अपने माता-पिताको ही समय नहीं देता तो उन्हें दुःख होता है […]

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अशुद्ध धनसे कुपुत्र ही मिलते हैं, सुपुत्र नहीं !


      कुछ समय पूर्व एक स्त्री, जो हमारी परिचित हैं, वे बता रही थीं कि उनका बडा सुपुत्र अभियान्त्रिकीकी (इंजीनियरिंगकी)  शिक्षा ग्रहण कर रहा है । उन्होंने अपने छोटे सुपुत्रको चिकित्सक बनाने हेतु, उसे उससे सम्बन्धित प्रतिस्पर्धावाली परीक्षा दिलवाई; किन्तु जब वह उसमें उत्तीर्ण नहीं हो पाया तो उसे किसी निजी चिकित्सा महाविद्यालयमें […]

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अपने बच्चोंको धर्माचरण सिखाने हेतु स्वयं भी वैसा आचरण करनेका प्रयास करें !


साधकों, अपने बच्चोंको सामान्य धर्माचरण सिखाने हेतु स्वयं भी वैसा आचरण करनेका प्रयास करें ! आरती सगुण भक्ति एवं निर्गुण ईश्वरसे सम्पर्क साधनेका एक सुन्दर माध्यम है । अपने घरमें प्रातः एवं संध्या समय नियमित आरती करें तथा घरमें जो भी रहते हैं, वे भी इसमें उपस्थित रहें, ऐसा प्रयास करें ! आश्रममें आनेवाले आगंतुकों […]

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प्रातः उठनेपर झाडू लगानेके पश्चातही बच्चोंको घरमें पांव रखने देना चाहिए !


 हमारी माताजी हमें कभी भी बासी घरमें प्रातः उठनेके पश्चात पांव नहीं रखने देती थीं ! वे सर्वप्रथम पूरे कक्षमें झाड़ू लगाती थीं तभी हम बिछावनसे नीचे उतर सकते थे ! मैंने कई बार अपनी माताजीसे इसका शास्त्र जानना चाहती थी किन्तु वे बहुत भोलेपनसे कहती थीं कि मेरी मां ऐसा करती थीं और कहती […]

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