केन्द्रमें सशक्त शासन होता तो उसकी नाकके नीचे देहली क्षेत्रमें कोरोना महामारीसे इतने लोग हताहत नहीं होते ! आपको बताया था न निधर्मी शासन कभी भी कोई प्राकृतिक आपदासे उत्पन्न भयावह स्थितिको नियन्त्रित नहीं कर सकता है । आज उसका उदाहरण सबके समक्ष है ! अतः हिन्दुओ, किसी सन्तके संरक्षणमें साधना करें, वे ही इस […]
हमारे देशमें वैदिक लोगोंकी स्मरणशक्ति इतनी तीक्ष्ण हुआ करती थी कि गुरु अपने शिष्यको अपनी साधनासे अर्जित ज्ञान उसकी स्मृतिमें डाल कर निश्चिन्त हो जाते थे; क्योंकि उन्हें ज्ञात था कि वह यथावत अगली पीढीके शिष्योंतक उनके …..
कोरोना रुपी महामारीके जो मुख्य केन्द्र बिन्दु (हॉट स्पॉट) आज भारतमें हैं, उनमें अधिकांशत: महानगर या बडे नगर हैं ! यदि इस संक्रमणको फैलानेके मुख्य उत्तदायी तत्त्व अर्थात जमातियोंको छोड दिया जाये तो एक बात तो स्पष्ट है कि रज-तम प्रधान लोगोंमें यह रोग शीघ्र पसर रहा है ! अतः सात्त्विक रहें, यही संक्षेपमें कहा […]
स्मरणहीनता यह दुर्गुणको दूर कैसे करें, यह आप स्वत: ही जान जाएंगे जब आप इस लेखमालाको पढेंगे; क्योंकि इसमें कारण बताया जाएगा तो यदि आप उस कारणका अभ्यास करेंगे तो आपकी बुद्धि निश्चित ही शुद्ध व तीक्ष्ण हो जाएगी …..
जबसे ‘उपासना’के माध्यमसे समष्टि सेवा आरम्भ की है तबसे मुझे एक बात ध्यानमें आई है कि आजके सामान्य व्यक्तिमें स्मरणहीनता रुपी दुर्गुणका प्रमाण बहुत अधिक बढ गया है ! पहले मुझे लगा कि यह ग्रामीण क्षेत्रोंमें अधिक है …..
बुद्धि सात्त्विक, राजसिक और तामसिक हो सकती है | विवेक सदैव ही सात्त्विक होता है और विवेकी मनुष्य कभी भी कोई अधर्मी निर्णय नहीं लेता है | पूर्वकालमें हिन्दुओंद्वारा धर्माचरण एवं साधना करनेके कारण, सभीके विवेक जागृत हुआ करता था; इसलिए सनातन संस्कृति सर्वत्र फल-फूल रही थी और लोग आध्यत्मिक प्रगति कर रहे थे ! […]
मायाकी जिस वस्तुसे हमें सुख मिलता है, वही हमारे दुःखका कारण बनती है, ऐसा शास्त्र है । जैसे पुत्रका जन्म हो तो सुख मिलता है; किन्तु वह अस्वस्थ हो जाए तो दुःख मिलता है, वह बडा अधिकारी बन जाए तो सुख मिलता है; किन्तु अपने माता-पिताको ही समय नहीं देता तो उन्हें दुःख होता है […]
कुछ समय पूर्व एक स्त्री, जो हमारी परिचित हैं, वे बता रही थीं कि उनका बडा सुपुत्र अभियान्त्रिकीकी (इंजीनियरिंगकी) शिक्षा ग्रहण कर रहा है । उन्होंने अपने छोटे सुपुत्रको चिकित्सक बनाने हेतु, उसे उससे सम्बन्धित प्रतिस्पर्धावाली परीक्षा दिलवाई; किन्तु जब वह उसमें उत्तीर्ण नहीं हो पाया तो उसे किसी निजी चिकित्सा महाविद्यालयमें […]
साधकों, अपने बच्चोंको सामान्य धर्माचरण सिखाने हेतु स्वयं भी वैसा आचरण करनेका प्रयास करें ! आरती सगुण भक्ति एवं निर्गुण ईश्वरसे सम्पर्क साधनेका एक सुन्दर माध्यम है । अपने घरमें प्रातः एवं संध्या समय नियमित आरती करें तथा घरमें जो भी रहते हैं, वे भी इसमें उपस्थित रहें, ऐसा प्रयास करें ! आश्रममें आनेवाले आगंतुकों […]
हमारी माताजी हमें कभी भी बासी घरमें प्रातः उठनेके पश्चात पांव नहीं रखने देती थीं ! वे सर्वप्रथम पूरे कक्षमें झाड़ू लगाती थीं तभी हम बिछावनसे नीचे उतर सकते थे ! मैंने कई बार अपनी माताजीसे इसका शास्त्र जानना चाहती थी किन्तु वे बहुत भोलेपनसे कहती थीं कि मेरी मां ऐसा करती थीं और कहती […]