गुरु, शिष्य एवं साधक

गुरुसेवकका पद, इस ब्रह्मांडका सर्वश्रेष्ठ पद होता है !


‘अहम ब्रह्म अस्मि’ के भावमें  रत संतके लिए भी द्वैत-अवस्थामें गुरुसेवकका पद, इस ब्रह्मांडका सर्वश्रेष्ठ पद होता है ! -तनुजा ठाकुर  

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गुरु मिलना फिर भी सरल है शिष्य मिलना अत्यधिक कठिन है !


शिष्य में यदि पात्रता हो और वह यदि गुरु को छोडना भी चाहे तो गुरु उसे नहीं छोड़ते जैसे एक बिल्ली अपने बच्चे को मुंह में ले लें तो वह उसे नहीं छोडती !! संत कबीरदास जी ने कहा है गुरु मिलना फिर भी सरल है शिष्य मिलना अत्यधिक कठिन है ! अतः पात्रता बढ़ाएं […]

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स्वयंको किसी गुरुका शिष्य घोषित करना अनुचित है !


कुछ साधक मुझसे कहते हैं, मैं फलां-फलां संतको अपना गुरु मानने लगा हूं; किन्तु आपकेद्वारा किसी संतको गुरु माननेसे आप उनके शिष्य बन गए, ऐसा नहीं है | जैसा व्यवहारमें कोई किसी लडकीसे प्रेम करे और उसे अपनी प्रेमिका माननेसे कुछ नहीं होता, उस लडकीने भी उस लडकेको अपना प्रेमी मानना चाहिए वैसे ही अध्यात्ममें […]

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गुरु शिष्यको जो भी सेवा देते हैं वह उसकी आध्यात्मिक प्रगतिके लिए पूरक होता है


एक गुरुभक्त (जो उन्नत और शिष्य पद पर हैं ) ने कहा “मेरे गुरुने मुझे दो संस्था और एक विद्यालय का उत्तरदायित्व देकर मुझे फंसा दिया और स्वयं बैकुंठ चले गए ” | मैंने कहा, “सद्गुरु कभी अपने शिष्य को फंसा नहीं सकते, सद्गुरु शिष्य को जो भी सेवा देते हैं वह उसकी आध्यात्मिक प्रगति […]

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जैसे शिष्यकी पात्रता वैसे ही गुरुकी प्राप्ति होती है


शिष्य, गुरु को मौन से या शब्दातीत माध्यम से सिखाये इस हेतु शिष्य में भी वे दिव्य गुण होने चाहिए | शिष्य के आध्यात्मिक स्तर ( इस जन्म और पूर्व जन्म में अर्जित की हुई साधना ) और उसकी पात्रता अनुरूप गुरु सीखाते हैं ! ध्यान रहे जैसे शिष्य की पात्रता वैसे ही गुरु की […]

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गुरुकी गद्दी


एक बार एक भक्त ने पूछा ” मेरे गुरुके अनेक भक्त थे फिर भी उन्होने किसी को अपनी गद्दी नहीं दी अब उनके स्थान पर कोई नहीं है, कम से कम अपने किसी रिश्तेदार को ही गद्दी दे देते । आगे क्या होगा पता नहीं, सरकार के नीच दृष्टि हमारे ट्रस्ट के धन पर है […]

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सूक्ष्म अहम


एक बार एक शिष्य गुरुकृपा प्राप्त कर आत्मज्ञानी हो गया ! उसके गुरुबन्धु एवं उनके संपर्क में आनेवले भक्तों को दिव्य अनुभूतियांं होने लगीं।  गुरुजी ने कहा “जिन साधकोंको तुम्हारे बारेमें अनुभूतियांं होती हैं वह सब लिखकर दो उसे अपनी मासिक पत्रिकामें डालेंगे इससे लोगोंको समझ में आएगा की आत्मज्ञानीके संपर्क में आने से किस […]

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संतोंकी परीक्षा लेनेके लिए हमारा आध्यात्मिक स्तर उनसे होना चाहिए ऊंचा


संतोंकी परीक्षा लेनेके लिए हमारा आध्यात्मिक स्तर उनसे ऊंचा होना चाहिए; क्योंकि परीक्षकका स्तर परिक्षार्थीसे अधिक होना चाहिए यह तो सामान्य व्यावहारिक ज्ञान है।-तनुजा ठाकुर

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अध्यात्मका ज्ञान निःशुल्क देना मेरे श्रीगुरुको दक्षिणा


मेरे कुछ मित्र पूछते हैं की क्या मेरे शिविर में उपस्थित होने के शुल्क क्या होते हैं ? मेरे सारे शिविर निःशुल्क होते हैं ! यह कार्यक्रम हमारे कुछ धर्माभिमानी हिन्दू भाई- बहन करवाते हैं ! मेरे जीवन के अंतिम क्षण तक मेरे और मेरी संस्था के सारे कार्यक्रम निःशुल्क ही रहेंगे ! अध्यात्म का […]

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शाब्दिक श्रद्धा और खरी श्रद्धा


एक साधक अपने गुरुके सत्संगमें जाना चाहते थे | उन्होंने गुरुजीसे कहा “ मैं आपके सत्संगमें जाना तो चाहता हूं, आपपर श्रद्धा भी है; परन्तु मुझे मेरी चाकरी(नौकरी) जानेका डर है; क्योंकि हमें शासनकी ओरसे  किसी भी प्रकारके संगठन से जुडनेकी अनुमति नहीं है” | गुरुने कहा “ ऐसा है तो न आयें” | एक […]

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