साप्ताहिक सत्संगमें जानेका प्रयास करें, सत्संगमें जानेसे नामजप करने हेतु, आवश्यक शक्ति मिलती है और जैसे बिजलीके नहीं रहनेपर इन्वर्टर बिजलीकी भरपाई कर, हमारे उपकरणको चलाता है, उसी प्रकार सत्संगमें प्राप्त हुई सात्त्विकताका प्रभाव एक सप्ताह तक रहता है और हमें नामजप करनेकी शक्ति मिलती है। कलियुगके लिए सर्वोत्तम साधना मार्ग ईश्वरके नामका जप करना […]
अखंड नामस्मरण और सेवासे हम अपने मनके विचारोंके आवेगको नियंत्रित कर सकते हैं | सेवा सतकी करें अर्थात धर्म प्रसारकी या किसी संतके कार्यमें सहभागी हों ! इससे ईश्वरीय कृपाका संचार होता है और हमारे मनके विकार नष्ट होते हैं |-तनुजा ठाकुर
हमारे श्रीगुरु के आश्रम में हम सब साधक सेवा के मध्य होनेवाले चूक लिखा करते थे , हमारे श्रीगुरु ने एक अनोखी पद्धति निकाली थी , हम सब अपने चूक भोजन कक्ष में लगे फलक (बोर्ड ) पर लिखा करते थे | चूक के संबंध में मैंने सीखा कि चूक लिखते समय अपनी वृत्ति को […]
कुछ ध्यानमार्गी ध्यानके समय हुए अपनी अनुभूतियां मुझे बताते हैं और उतना ही नहीं उसका अर्थ पूछते हैं, वर्तमान कालमें जब सूक्ष्म जगतकी अनिष्ट शक्तियोंका कष्ट अपने चरम पर है ऐसेमें ध्यानके समय मात्र अपने जप, अपने इष्टके स्वरुपपर या सांसपर ध्यान केन्द्रित करें, मुझे क्या दिखाई दे रहा है उसपर नहीं, क्योंकि वर्तमान कालमें ध्यानमें […]
जब तक हम निरीह और अबोध बने रहते हैं तब तक माताका ध्यान हमारी ओर सतत रहता है , जब हम उनसे कहने लगते है “मैं स्वयं स्नान कर लुंगा, मैं स्वयं कपड़े पहन लुंगा , मैं स्वयं भोजन कर लुंगा, तब मां हमारी ओरसे धीरे धीरे निश्चिंत हो जाती हैं वैसे ही जब हम भी […]
वेद एवं मन्त्रोंका उच्चारण सही होना आवश्यक है, अन्यथा हमें उनके अशुद्ध उच्चारणसे हमें कष्ट होता है, मात्र नामजप हम किसी भी प्रकार कर सकते हैं, ऐसा क्यों ? पाणिनी व्याकरणमें कहा गया है : अनक्षरं हतायुष्यं विस्वरं व्याधिपीढ़ितम । अक्षता शस्त्रषरूपेण वज्रं पतति मस्तके ।। अर्थात: व्यंजन वर्णके अशुद्ध उच्चारणसे आयुका नाश होता है और […]
कुछ मित्रोंके पत्र एवं संभाषणसे भान हुआ कि वे भीड देख किसीको गुरु बना लेते है और जब उनके गुरु न ही उनके शंकाका समाधान कर पाते हैं और न ही आनंदकी अनुभूति दे पाते हैं तो वे अन्य संतोंके आस-पास मंडराने लगते हैं और उनसे वैयक्तिक प्रश्न यह बोलकर पूछते हैं कि मैं सभी […]
जैसे कर्मकाण्डकी साधना हेतु शरीरकी शुद्धि परम आवश्यक है, वैसे ही गुरुसेवा हेतु मनकी शुद्धि आवश्यक है, विकल्पके साथ की गयी सेवा गुरु स्वीकार नहीं करते ! हमारे श्रीगुरुके आश्रममें जो भी साधक विकल्पके साथ सेवा करते थे, वे सब कालांतरमें साधना और श्रीगुरुके संरक्षणसे दूर चले गए ! गुरु आपके मनोभावको अच्छेसे जानते हैं; […]
कुछ भक्त, सन्यासी, धर्म प्रसारक समाजमें धर्मकी बातोंको पहुंचाना चाहते हैं और जब उनके फेसबुक प्रोफ़ाइलपर उनकी बातोंकी ओर लोगोंका ध्यान नहीं जाता है तो वे अपनी विचार मेरे पेजके प्रतिक्रियावाले भागमें लिखते रहते हैं परंतु अधिकांशतः उनकी प्रतिक्रियाका मेरे लेखसे कोई संबंध नहीं होता है | मैं ऐसे लोगोंको यह बतानेकी धृष्टता करना […]
वर्तमान समयमें जिस प्रकारसे धर्मग्लानि और नैतिक मूल्योंका पतन हो रहा है और हमारी यह धर्मनिरपेक्ष सरकार जिसे धर्मद्रोही कहना अधिक योग्य होगा नित्य ऐसे कानून ला रही है जो अनैतिकताका पोषण कर रही है, ऐसेमें हम सभीको अपने व्यष्टि और समष्टि जीवन रामराज्यकी स्थापना हेतु प्रयत्नशील होना पडेगा तभी स्वकल्याण एवं समाज कल्याण संभव […]