संत हमारे मनोभावको कैसे पढ लेते हैं ?


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उच्च कोटिके संत निर्विचार अवस्थामें होते हैं । जिस प्रकार स्वच्छ आईनेमें हमारा प्रतिबिम्ब स्पष्ट दिखता है वैसे ही संतोंके निर्विकार मनमें हमारे विचार प्रतिबिंबित हो जाते हैं । सद्गुरु विश्वमन एवं विश्वबुद्धिसे अखंड जुड़े रहते हैं – तनुजा ठाकुर

 



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