संत सानिध्यका परिणाम


adi guru shankaracharya1

जिस प्रकार विशेष प्रकार विकिरणसे(रेडिएशनसे)  कर्करोगके ( कैंसरके)कीटाणु नष्ट हो जाते हैं, उसी प्रकार संतद्वारा प्रक्षेपित आनंदके स्पंदनसे उनके संग अधिक समय तक रहनेवाले साधकका मनोलय एवं बुद्धिलय हो जाता है और उसका अज्ञान नष्ट होकर, उसे आनंदकी अनुभूति होती है !
संतके सानिध्यमें रहनेसे क्या हो सकता है यह एक उदहारणके माध्यमसे देखेंगे | एक बार एक शिष्य गुरुके पास आया और उसने बताया कि मैं पिछले १२ वर्षसे नियमित ध्यान करनेका प्रयास कर रहा हूं; किन्तु मेरे मन एकाग्र ही नहीं होता | मैं अपने इस समस्याका समाधान करने हेतु आपके पास आया हूं | गुरुजीने मुस्कराते हुए कहा, “दो-चार दिन यहीं रहो तत्पश्चात् तुम्हारे समस्याका समाधान बताऊंगा” | सात दिनके पश्चात एक दिन गुरुने शिष्यको बुलाया , शिष्यने जैसे ही गुरुको देखा साक्षात् दंडवत कर प्रणाम कर कहा, “गुरुजी मुझे मेरे प्रश्नका उत्तर मिल गया, जबसे आपके सानिध्यमें आया हूं, मन पूर्णत: निर्विचार हो गया, चाह कर भी विचार टिक नहीं पाते” | ऐसा होता है, संत सानिध्यका परिणाम ! – तनुजा ठाकुर



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