सात्त्विक भोजन बनाना भी साधना है !


आजकी स्त्रियोंको अब पाक कलाकी भी सीख देनी होगी क्योंकि मैंने पाया है कि आजकल अधिकांश स्त्रीयां जो भोजन बनाती है उसका सेवन कर  परिपूर्ण भोजन करने समान तृप्ति नहीं मिलती है |

आजकी सीख –
भोजन बनाते समय दाल और सब्जी दोनोंमें ही खटाई न हो इस बातका ध्यान रखना चाहिए ! अनेक बार स्त्रीयां दालमें भी टमाटर डाल देती हैं और सब्जीमें फलस्वरूप दोनोंका स्वाद एक समान हो जाता है ! दाल और सब्जी के स्वादमें भिन्नता होना आवश्यक है उससे भोजनका भिन्न स्वाद प्राप्त होता है | वैसी भी खट्टा भोजन तमोगुणी होता है अतः टमाटरका प्रमाण उतना हे होना चाहिए कि सब्जी या दालमें टमाटरमें पोषक तत्त्व तो आये किन्तु पका हुआ भोज्य पदार्थ खट्टा न हो !  -तनुजा ठाकुर  (८.६.२०१४ )



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